खुरसुरा गोलीकांड:
अवैध रेत उत्खनन, बदले बयान, फरार आरोपी और वायरल वीडियो के बीच राजनीतिक संरक्षण पर गंभीर सवाल
सिवनी में अवैध रेत उत्खनन से जुड़ा गोलीकांड:
बयान बदलने से लेकर राजनीतिक संरक्षण तक, कई बड़े सवाल खड़े सिवनी जिले के उगली थाना अंतर्गत पांडिया छपारा के समीप ग्राम खुरसुरा में अवैध रेत उत्खनन के विरोध में रेत माफियाओं द्वारा कराए गए गोलीकांड में युवक विकास पटले के घायल होने का मामला अब गंभीर राजनीतिक,
प्रशासनिक और आपराधिक सवालों के घेरे में है, क्योंकि घटना के तुरंत बाद विकास के चाचा अनिल और भाई अतुल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उनके भाई-भतीजे को गोली अनुराग तिवारी ने मारी है,
लेकिन एक माह बाद दोनों के बयान अचानक बदल जाना संदेह को और गहरा करता है; सवाल उठ रहा है कि क्या यह बदलाव राजेश पाठक के दबाव में हुआ या फिर किसी राजनीतिक संरक्षण के चलते पूरे गांव को चुप कराया गया। इस मामले में आज भी लवलीन नागवंशी फरार है, वहीं तत्कालीन थाना प्रभारी सदानंद गोदेवार पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें जांच और थाने से हटा दिया गया,

जिससे निष्पक्ष जांच पर भी प्रश्नचिह्न लग गया। पूरे घटनाक्रम में भाजपा के जिला महामंत्री गजानन पंचेश्वर पर गंभीर आरोप सामने आ रहे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि जनसंख्या के अनुसार रेट खदान में उनकी कथित प्रतिशत हिस्सेदारी है और इसी कारण इस पूरे घटनाक्रम के पीछे उनकी भूमिका बताई जा रही है; इतना ही नहीं, घटना के एक दिन पहले किसी होटल में रेत माफियाओं के साथ गजानन पंचेश्वर की बैठक का वीडियो फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल होना मामले को और संवेदनशील बना रहा है। प्रशासन से इस खदान का अधिकृत ठेका राजेश पाठक को मिला है, लेकिन इसके बावजूद खदान संचालन में गजानन पंचेश्वर की कथित भूमिका समझ से परे है।

बताया जा रहा है कि पहले राजा चौहान ग्रुप के स्थानीय युवक इस खदान में काम करते थे, जिनसे काम छीन लिए जाने के बाद उन्होंने अपनी नाराजगी राजेश पाठक के मैनेजर अनुराग तिवारी के सामने रखी कि रोजगार गांव के ही युवकों को मिलना चाहिए, इसी बीच गजानन पंचेश्वर के संरक्षण में बताए जा रहे लोवलीन नागवंशी के मौके पर पहुंचने और राजा चौहान ग्रुप से विवाद करने के बाद मामला इतना बिगड़ा कि अनुराग तिवारी ने तीन फायर किए, जिनमें से एक गोली विकास पटले के पेट में जा लगी। इस पूरे मामले में बयान बदलने, फरार आरोपियों, वायरल वीडियो, राजनीतिक संरक्षण और पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल यह संकेत देते हैं कि खुरसुरा गोलीकांड केवल एक आपराधिक घटना नहीं,

बल्कि अवैध रेत उत्खनन के काले कारोबार और सत्ता-संरक्षण की गहरी परतों को उजागर करता है, जिसकी निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच अब बेहद जरूरी हो गई है।