बालाघाट से माओवाद का अंत, आखिरी बचे माओवादी दीपक और रोहित ने भी किया सरेंडर
बालाघाट। 90 के दशक से लाल आतंक का दंश झेल रहे बालाघाट से माओवाद का पूर्ण सफाया हो गया है। गुरुवार को आखिरी बचे दीपक और रोहित ने भी अपने साथियों की तरह हथियार डाल दिए हैं। हालांकि, पुलिस की तरफ से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पुलिस के विश्वस्त सूत्र के मुताबिक, दीपक और रोहित कोरका स्थित सीआरपीएफ कैम्प में आत्मसमर्पण कर दिया है पुलिस समर्पण की अग्रिम कार्रवाई कर रही है।
दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मंगल उइके वर्ष 1995 से माओवादी संगठन से जुड़ा था। वह मलाजखंड दलम का डिप्टी कमांडर था और डीवीसीएम रैंक का माओवादी था। उसने गुरुवार को अपने साथी रोहित एसीएम, दर्रेकसा एरिया कमिटी के साथ सार बटालियन, सीआरपीएफ कैंप कोरका थाना बिरसा में आत्मसमर्पण किया है।दीपक ने एक स्टेनगन भी जमा करवाई है। दीपक बालाघाट के ही ग्राम पालगोंदी का रहने वाला है। वह बेहद चालाक और रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन बालाघाट पुलिस और सुरक्षाबलों की सघन सर्चिंग और लगातार माओवादियों के सरेंडर से हारकर दीपक ने भी हथियार डाल दिए हैं।