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पुलिस का आज फिर दिखा स्वच्छता सुपर संडे, राजेश कुमार की पहल ने थानों को बना दिया आदर्श परिसर, पूरे जिले में नई संस्कृति की थी शुरुआत

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News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी

कौशाम्बी: आज रविवार को जनपद में वह दृश्य देखने को मिला जो आम दिनों में दुर्लभ है। सुबह की धूप के साथ जब जनपद अभी नींद से जाग रहा था, उसी समय पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार के नेतृत्व में जिले की पुलिस अलग ही तेवर और ऊर्जा में दिखाई दी। खाकी की कड़क चाल आज एक नए मिशन के लिए मैदान में उतरी स्वच्छता का संकल्प, सेवा का विस्तार। थानों के दृश्य आज किसी प्रशासनिक कार्यक्रम की तरह नहीं बल्कि एक जागरूक, जिम्मेदार और अनुशासित परिवार की तरह दिखे। कहीं सीओ खुद कचरा उठाते नज़र आए, कहीं बीट पुलिसकर्मी शस्त्रागार की दीवारों से जमी धूल हटाने में लगे थे।मालखाने में पुराने रिकॉर्ड व्यवस्थित किए गए, हवालात को धुलकर नया सा रूप दिया गया, आवासीय परिसर में जमी घास काटी गई और चौकियों के बाहर जमा कूड़ा उठाकर दहन किया गया।
यह सिर्फ सफाई नहीं थी,यह पुलिस की नई कार्य-शैली, नई पहचान और जनता के सामने एक नए संदेश की शुरुआत थी
पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने पूरे अभियान की स्वयं मॉनिटरिंग की। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि थाना स्वच्छ होगा तो कामकाज पारदर्शी होगा, और पारदर्शिता से ही जनता का भरोसा मजबूत होता है।
स्वच्छता अब हमारा नियमित अनुशासन बनेगी हर रविवार। उनके आदेश के बाद जिले के हर थाना प्रभारी ने पूरी टीम के साथ परिसर को चमकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई थानों में पुलिसकर्मियों ने खुद पौधारोपण किया, पानी की निकासी लाइनें खोली गईं, टूटे नल सुधारे गए, और शौचालयों को कीटाणुरहित किया गया।
जवानों ने एक स्वर में प्रतिज्ञा भी ली,थाना हमारी कर्मभूमि है, इसे स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है।
आमजन के लिए भी संदेश साफ और प्रभावी था कि जिस पुलिस को आप अक्सर सड़कों पर जिम्मेदारियों में देखते हैं, वही पुलिस आज अपने ही घर थाने को उदाहरण बनाकर समाज को बता रही है कि स्वच्छता विकल्प नहीं, ज़िम्मेदारी है। पूरे जिले में आज का दिन स्वच्छता सुपर संडे जैसा रहा।कौशाम्बी पुलिस का यह अनोखा प्रयास न सिर्फ प्रशासनिक सफलता का संकेत है, बल्कि यह दिखाता है कि राजेश कुमार के नेतृत्व में पुलिस सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन में भी अग्रसर है। कहना गलत नहीं होगा कि कौशाम्बी पुलिस ने आज साबित कर दिया कि यदि नेतृत्व संकल्पित हो तो थाने भी चमक सकते हैं और सोच भी।

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