कुपोषण का दंश: सात माह में जिले में मिले साढ़े 7 हजार अति कुपोषित बच्चे,150 से अधिक बच्चे हुए भर्ती उम्र अनुसार नहीं हो रहा सही विकास
कुपोषण का दंश: सात माह में जिले में मिले साढ़े 7 हजार अति कुपोषित बच्चे,150 से अधिक बच्चे हुए भर्ती
उम्र अनुसार नहीं हो रहा सही विकास
*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*
रायसेन।जिले में बच्चों में कुपोषण अति कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है।यही वजह है कि जिले के पोषण पुनर्वास केंद्रों में150 अति कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है।
कुपोषण के कई कारण….,
जिला अस्पताल आरएमओ डॉ.एलके गुर्जर ने बताया कि बच्चों में कुपोषण बढ़ने के कई कारण हैं। सिंगल पैरेटिंग, अभिभावक का वर्किंग होना, मोबाइल एडिक्शन, जंक फूड आदि कई कारण हैं। जिला अस्पताल में कई बच्चे ऐसे आते हैं जो कुरकुरे या अन्य पैकिंग की चीज के बगैर खाना नहीं खाते। कई बच्चे मोबाइल देखकर ही खाना खाते हैं।पोषण पुनर्वास केन्द्र में आने वाले बच्चों का 60 दिन में चार फॉलोअप लिया जाता है।
चार साल के आंकड़े….
प्री-मैच्योर डिलीवरी भी एक कारण
जिला अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक राय ने बताया कि बच्चों के कुपोषित होने के कई कारण हैं। इनमें प्रमुख तौर पर प्री-मैच्योर डिलीवरी भी एक कारण है। अन्य कारणों में माता-पिता में अवेयरनेस नहीं होना, बच्चों को पौष्टिक आहार की बैलेंस सीट फॉलो नहीं करना, एनिमिया, माता-पिता का वर्किंग इसके साथ ही शिक्षा का अभाव भी है।
केन्द्र में शहर के साथ आसपास के क्षेत्रों से बच्चे आ रहे हैं। डोलरिया, सिवनी मालवा सहित सबसे अधिक बच्चे बरेली, गौहरगंज सुल्तानपुर गैरतगंज से आ रहे हैं। भर्ती बच्चों में उम्र अनुसार सही विकास नहीं हो रहा है। इसके साथ खून की कमी, कम वजन, उम्र के हिसाब से हाइट नहीं बढ़ रही है।
सरकारों द्वारा बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं।लेकिन जमीनी स्तर पर बेहतर प्रयास नहीं हो रहे हैं। बीते कुछ सालों में ही कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला अस्पताल के 20 बिस्तर पोषण पुर्नवास केन्द्र में 0 से 5 साल के शहर सहित जिले से कुपोषित बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं। लगातार निगरानी के बाद भी संख्या बढ़ती ही जा रही है। बीते 4 सालों के आंकड़े यही बता रहे हैं।