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वोकल फॉर लोकल” को बढ़ावा केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने धनतेरस पर खरीदे मिट्टी के दीये

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लोकेसन-धामनोद

संवाददाता मोनू पटेल

 

 

*वोकल फॉर लोकल” को बढ़ावा केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने धनतेरस पर खरीदे मिट्टी के दीये*

 

धामनोद — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” अभियान को आगे बढ़ाते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने इस धनतेरस पर स्थानीय कुम्हारों से मिट्टी के दीये और बर्तन ख़रीदकर एक प्रेरणादायक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “देश तभी आत्मनिर्भर बनेगा जब हम अपने देश के उत्पादों को प्राथमिकता देंगे और स्थानीय कारीगरों का सम्मान करेंगे।”

 

धनतेरस के शुभ अवसर पर मंत्री ठाकुर धामनोद नगर के स्थानीय बाजार पहुँचीं, जहाँ पारंपरिक कुम्हार समाज के लोगों द्वारा बनाए गए मिट्टी के दीये, कलश और अन्य वस्तुएँ प्रदर्शित की गई थीं। सावित्री ठाकुर ने स्वयं अपने हाथों से कुम्हारों से दीये ख़रीदे और उनके काम की सराहना की। इस दौरान उन्होंने कहा — “हमारे गाँव और कस्बों के कलाकार अपनी मेहनत से भारतीय संस्कृति को जीवंत रखते हैं। हमें इनका सहयोग करना चाहिए, ताकि ये परंपराएँ आने वाली पीढ़ियों तक जीवित रहें।”

 

उन्होंने लोगों से अपील की कि वे त्योहारों पर चाइनीज लाइट्स या प्लास्टिक के सजावटी सामान की जगह मिट्टी के दीयों का उपयोग करें। इससे न केवल पर्यावरण को लाभ होगा बल्कि स्थानीय मजदूरों और कलाकारों की रोज़ी-रोटी भी सुरक्षित रहेगी।

 

इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल टू लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज़ादी के अमृत काल में हर भारतीय का दायित्व है कि वह देशी उत्पादों को बढ़ावा दे। “हमारे देश में प्रतिभा की कोई कमी नहीं, बस ज़रूरत है इन प्रतिभाओं को पहचानने और अपनाने की,” उन्होंने कहा।

 

केंद्रीय मंत्री के इस कदम से स्थानीय कुम्हार समाज में उत्साह का माहौल देखा गया। कुम्हारों ने कहा कि जब मंत्री स्वयं आकर उनके हाथों के बने दीये हर वर्ष हमारे यहां से खरीदती हैं, तो इससे उनके मनोबल में बहुत वृद्धि होती है।

कार्यक्रम में नगर के जनप्रतिनिधि, व्यापारी वर्ग और बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे। सावित्री ठाकुर ने अंत में कहा — “जब हर व्यक्ति अपने क्षेत्र के उत्पाद को अपनाएगा, तभी भारत सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर बनेगा।”

धनतेरस जैसे पर्व पर स्थानीयता का यह संदेश धामनोद ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन गया है।

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