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केदारपुर उप स्वास्थ्य केंद्र बना खंडाला – स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी से आदिवासी अंचल के लोग परेशान

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लोकेशन — केदारपुर जिला सिवनी म. प्र.

संवावदाता – जिला ब्यूरो मोहित सिवनी से

 

*केदारपुर उप स्वास्थ्य केंद्र बना खंडाला – स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी से आदिवासी अंचल के लोग परेशान*

 

सिवनी//जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र में स्थित केदारपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) आज उपेक्षा का शिकार बन चुका है। यह स्वास्थ्य केंद्र इस क्षेत्र का इकलौता डिलीवरी प्वाइंट है और करीब 50 किलोमीटर के दायरे में लोगों के लिए प्रमुख इलाज का स्थान है। इसके बावजूद यहां पर आवश्यक मेडिकल स्टाफ का अभाव लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है।

 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सीएमएचओ जयपाल सिंह ठाकुर के कार्यकाल में इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। डॉक्टर, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट और एएनएम जैसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कर्मियों का मनमर्जी से ट्रांसफर कर दिया जाता है। हैरानी की बात यह है कि यह ट्रांसफर अक्सर मिलीभगत और प्रभाव के बल पर होते हैं। नतीजा यह है कि केदारपुर पीएचसी पर मूल पदस्थ अधिकारी-कर्मचारी अपनी जगह पर नहीं टिकते।

 

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब भी कोई मरीज गंभीर स्थिति में होता है या गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचाना होता है, तो उन्हें 50 से 100 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। कई बार समय पर उपचार न मिलने के कारण मरीज की जान खतरे में पड़ जाती है। आदिवासी अंचल में यह स्वास्थ्य केंद्र लोगों के लिए जीवनरेखा साबित हो सकता है, लेकिन स्टाफ की कमी और प्रशासनिक लापरवाही ने इसे खंडाला बना दिया है।

 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस परिस्थिति में इस स्वास्थ्य केंद्र से मूल पदस्थ कर्मचारियों को ट्रांसफर कर दिया जाता है? क्या यह नियमों के विरुद्ध नहीं है कि डिलीवरी प्वाइंट जैसे संवेदनशील केंद्र को बिना स्टाफ के छोड़ दिया जाए?

 

स्वास्थ्य विभाग की यह लापरवाही न केवल सरकारी योजनाओं की पोल खोलती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अधिकारी आदिवासी अंचल की जरूरतों को गंभीरता से नहीं ले रहे। अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो यह केंद्र कागजों में तो संचालित दिखेगा, लेकिन हकीकत में यह ग्रामीणों के लिए खंडहर से ज्यादा कुछ नहीं होगा।

 

लोगों की मांग है कि तत्काल प्रभाव से केदारपुर पीएचसी पर डॉक्टर, स्टाफ नर्स, एएनएम और फार्मासिस्ट की नियमित पदस्थापना की जाए और बिना कारण ट्रांसफर की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। अन्यथा यह समस्या और विकराल रूप ले सकती है।

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