सुभाष चौहान ने बताया कि प्राचीन समय का इतिहास इस बात का साक्षी रहा है की आदिवासी सनातन परंपरा का घोतक हैजय
*धुलकोट। बुरहानपुर*
*संवाददाता दिलीप बामनिया*
*सुभाष चौहान ने बताया कि प्राचीन समय का इतिहास इस बात का साक्षी रहा है की आदिवासी सनातन परंपरा का घोतक हैजय*
धुलकोट। भारतीय जनता पार्टी बुरहानपुर के वरिष्ठ नेता एवं समाजसेवी सुभाष चौहान भाजपा जिला महामंत्री द्वारा प्रतिपक्ष के नेता उमंग सिंघार द्वारा *आदिवासी हिंदू नहीं है* जो बयान दिया गया है कि निंदा की उन्होंने मीडिया को बताया कि उमंग सिंगार ने हाल ही बयान दिया है कि आदिवासी हिंदू नहीं है मैं उनके इस बयान का पूर्ण रूप से निंदा करता हूं समाज को तोड़ने की राजनीति करने पर उन्हें जनजाति समाज के बारे में विश्व सहित कांग्रेसी नेताओं की जानकारी को सही करने के लिए कुछ बातें रखना चाहता हूं। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आदिवासी समाज कि गौरवशाली संस्कृति और मठ मंदिरों और सनातन हिंदू धर्म से प्राचीन समय से ही जनजाति आदिवासी समाज ने भारत के श्रेष्ठ मठ मंदिरों का संचालन किया जो आज भी संचालित हो रहे हैं यह आदिवासी समाज के सनातनी हिंदू होने का प्रमाण है। सुभाष चौहान जी ने बताया कि प्राचीन समय का इतिहास इस बात का साक्षी रहा है की आदिवासी सनातन परंपरा का घोतक हैजय श्री गणेश जी, जय श्री राम जी, जय माता दी,
सिंगार को चैलेंज देता हूं कि यह अपना जाति सर्टिफिकेट सार्वजनिक करें क्योंकि इनके जाती सर्टिफिकेट पर शत प्रतिशत हिंदू लिखा होगा।
मगर इनका अल्प ज्ञान आज जगा है।
और इन्हें नहीं पता है कि
सतयुग में राजा ययाति के पुत्र अनु ,पुरु ,कुरु त्वर्ससु दुर्हा, और सुरहा से हमारा इतिहास जुड़ा है।
त्रेतायुग में माता शबरी महर्षि वाल्मीकि निषाद राजगुरु और केवट हमारी संस्कृति और समाज का हिस्सा है । साथ ही श्रीराम जी के साथ रहने का हमारे लोगों का सुअवसर मिला इसीलिए समाज आज भी संबोधन मै राम राम कहता है।वही निषाद और भील जाती से ही कौल किरात ओर अन्य आदिवासी जातियों का उद्गम हुआ है ।
द्वापर युग मे हिडिंबा घटोत्कच बर्बरीक जननायक एकलव्य
का विशेष महत्व रहा है । उस काल खंड में श्री कृष्ण का सानिध्य हमारे समाज के लोगों को प्राप्त हुआ।
मुगल काल में महाराणा प्रताप का साथ देने वाले महान योद्धा राणा पूजा भील और गोंड रानी दुर्गावती का इतिहास गवाह है।
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों के दाते तले चने दबाने वाले महान योद्धा भगवान बिरसा मुंडा वीर नारायण सिंह भीमा नायक टंट्या मामा वीर जादू नागा तिलका मांझी शंकर शाह रघुनाथ शाह रानी कमला पति वीर रेंगा कोरकू बुद्धु भगत ,खाजा नायक ,रानी मां गाडियुल यह सब ने सनातनी संस्कृति को ही अपनाया। ओर भारत की सीमाओं की रक्षा करने वाले अनादि काल से हमारे पुरखे सैनिक रहे है भगवान शिव जी और मां भवानी हमारी आराध्य रही है इसीलिए हमारी गौत्र परंपरा ओर कुलदेवी परंपरा मै इनका पूजन बड़ा देव ओर कुल देवी के रूप में किया जाता है ।
आज भी हमारी विवाह परंपरा मै मंड़प की रीति
शिव पार्वती महादेव सती श्रीराम जानकी के विवाह समारोह के मंडप से ली गई है । दहा संस्कार या अंतिम संस्कार भी हमारी सनातनी संस्कृति का हिस्सा है ।
हमारे ग्रामों में भीलड़ मंदिर हनुमान मंदिर ओर भैरव मंदिर बड़ा देव मंदिर आज भी है ओर समाज आज भी पूजता है।
भारत के सनातनी हिंदुओं के जो मुख्य त्योहार दशहरा दीपावली होली और नवरात्र है इन्हीं तीज त्योहारों को हमारा समाज भी मानता है।
जिन जमीन जंगल जीव नदियों पर्वतों ओर औषधियों को
सनातनी हिन्दू समाज मानते है हम भी उन्हीं को मानते है इसलिए हम गर्व के साथ कहते है कि हम हिन्दू है । रग रग मै हमारे हिंदूत्व है ।
उमंग सिंगार का बयान उनकी दूषित मानसिकता को दर्शाता है कि पहले से ही देश में विखंडन की नीति के तहत बाटों और राज करो की नीति जो पहले से ही विदेशी आक्रांताओं ओर कांग्रेस की नीति रही है उसी को आगे बढ़ते हुए अपने आकाओ को खुश करने के लिए सुनियोजित ढंग से यह बयान दिया गया है ।
भारत मै अराजकता का माहौल खड़ा हो इसलिए क्षेत्र वाद भाषा वाद जातिवाद और अलगाववाद और सनातन को बाटने का काम जोरो पर है । उमंग सिंगार का बयान भी यह इसी चीजों का हिस्सा हैं।
उन्होंने आगे आदिवासी समाज द्वारा मठ और मंदिरों के संचालन से संबंधित जानकारी में बताया कि
1. जगन्नाथ पुरी, चार धामों मै से एक
उड़ीसा राज्य, जनजाति समाज सवरा सोरा जाती द्वारा संचालन।
2. दंतेश्वरी मंदिर 51 शक्ति पीठ मै से एक, छत्तीस गढ़ राज्य
जनजाति समाज मुरीया ओर हल्बा द्वारा संचालन
3. नर्मदा उद्गम अमरकंटक मध्य प्रदेश राज्य जनजाति समाज गौंड ओर बैगा जाती द्वारा संचालन
4. ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक राज्य मध्य प्रदेश भिलाला समाज द्वारा संचालित
5. ग्राम देवालय बालाघाट मध्य प्रदेश गौंड ओर बैगा जाती द्वारा संचालित।
6 , शबरीमाला मंदिर ,केरल राज्य, भीलनी जाती द्वारा संचालित
7. मल्लिकार्जुन ज्योतिलिंग श्रीशेलम 12 ज्योतिर्लिंग में से एक, राज्य आंध्र प्रदेश जनजाति समाज चेचू द्वारा संचालित
8. खंडोबा, केला देव, देवनारायण मंदिर, राजस्थान गुजरात और महाराष्ट्र में स्थापित मंदिर जाती भील और गार्सिया द्वारा संचालित।
9. सरना स्थल राज्य झारखंड जाती मुंडा, सांथल ,उरांव द्वारा संचालित।
10. धरती आबा, सिंगबोंगा झारखंड राज्य जाती मुंडा द्वारा संचालित।
11. मोरंग, ग्राम देवालय , नागालैंड मणिपुर अरुणाचल प्रदेश
नागा और कुकी जाती द्वारा संचालित।
12, मानगढ़ किला गोविंद गुरु राजस्थान गुजरात एम पी
भील भिलाला बारेला समाज द्वारा संचालित।
इसके साथ ही खंडवा जिले में पुनासा का कालका मंदिर और मुनंदी का रेणुकामाता मंदिर ओर सिंगाजी मंदिर ब्रह्मगिरी आश्रम का संचालन भिलाला समाज के पुजारियो द्वारा किया जाता है।
ओर बुरहानपुर के शब्रीधाम आश्रम परम पूज्य लक्ष्मण चैतन्य बापू के और गोपाल चैतन्य बापू के शिष्य बारेला समाज के
संत रामजी महाराज द्वारा संचालित होता है।
इसके साथ ही संत शिवाबाबा और मां जगदंबा कालिका और बिजासन माता की वार्षिक होने वाली पूजा मै बंजारा समाज के पुजारियों के साथ भिलाला समाज के पटेलों द्वारा विशेष पूजा की जाती हैं।
श्रीमान सिगार जी यह कुछ जानकारी मै साझा कर रहा हु क्या आप इन सभी आदिवासी समाज के संत पुजारियों को क्या अज्ञानी या
नासमझ मानते हो ।
क्या इन सबको हिंदू धर्म की पूजा पद्धति और मान्यताओं से वंचित कर सकते हो।
आप अपने वोट बैंक ओर पार्टी के बड़े नेताओं को खुश करने के चक्कर में कुछ भी बयान नहीं दे सकते।
मै आपकी इस दूषित मानसिकता का खंडन करता हु।
ऐसे ही संपूर्ण भारत वर्ष मै सैकड़ो आस्था ओर श्रद्धा के केंद्र बिंदु है जहां जनजाति आदिवासी समाज इन सांस्कृतिक विरासत के मान बिंदुओं से जुड़ा है और उन परंपराओं का हृदय से संचालन करता है।
*संवाददाता दिलीप बामनिया*