जिलाधिकारी के निर्देशानुसार उप जिलाधिकारी मंझनपुर ने राजस्व अभिलेखों में त्रुटिपूर्ण ढंग से दर्ज आराजियों को मूल खाते (तालाब) में कराया दर्ज
News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी
कौशाम्बी: शासन की मंशा के अनुरूप तथा जिलाधिकारी के निर्देशानुसार कार्यवाही की गई। उप जिलाधिकारी मंझनपुर ने बताया कि तहसीलदार की आख्यानुसार ग्राम-बरैसा परगना अथरवन की खतौनी सन् 1427-1432 फ० के खाता सं० 00656 की आ०सं० 580 मि० रक्बा 0.057 हे0 पर अंकित खातेदार कामता व नन्हूराम पुत्रगण सुरजा नि०ग्राम बरैसा परगना अथरवन तहसील मंझनपुर का नाम निरस्त कर वादग्रस्त भूमि को तालाब के खाते में समाहित/दर्ज कर दी गयी है, जो कि ग्राम के समस्त व्यक्तियों के सामुदायिक प्रयोग के लिए सन् 1359 फ0 के खसरे में तालाब के खाते में दर्ज थी, जिसे भूमि प्रबन्ध समिति बरैसा द्वारा गलत ढंग से तालाब की भूमि पर पट्टा दे दिया गया था, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।
इसी प्रकार ग्राम-पचामा परगना अथरवन की खतौनी सन् 1428-1433 फ0 के खाता सं० 00031 की आ०सं० 157क रक्बा 0.320 हे० व खाता सं० 00132 की आ०सं० 157ख रक्बा 0.057 हे० व खाता सं० 00099 की आ०सं० 157क रक्बा 0.171 हे0 व खाता सं० 00070 की आ०सं० 157 रक्बा 0.171 हे0 कुल 4 खाते कुल रक्बा 0.719 हे0 पर बिना किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश तथा विधि विरूद्ध अंकित खातेदारों के नाम निरस्त कर पूर्व की भांति भूमि श्रेणी-6(1) तालाब/अकृषिक भूमि, जलमग्न भूमि के खाता सं० 00189 तालाबा के खाते में गा०सं० 15750 रक्बा 0.011 हे0 में समाहित/दर्ज कर दी गयी है, जो कि ग्राम के समस्त व्यक्तियों के सामुदायिक प्रयोग हेतु सन् 1920 फ० मे तालाब दर्ज थी तथा 1359 फ0 के खसरे में तालाब के खाते में दर्ज थी, लेकिन खतौनी बनाते समय यह गम्भीर त्रुटि चली आ रही थी, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।
ग्राम-बौली परगना अथरवन की वर्तमान खतौनी सन् 1428-1433 फ० में गा0सं0 296ग रक्बा 0.399 हे0 में अंकित खातेदार अमृतलाल व सुमृतलाल व देशराज व श्रीलाल पुत्रगण मैकू का नाम नि०ग्राम का नाम निरस्त करते हुए तथा इनके द्वारा किये गये समस्त सम्व्यवहारों को शून्य घोषित करते हुए वादग्रस्त भूमि को पूर्व की भांति भूमि श्रेणी 6 (1) तालाब/जलमग्न भूमि के खाता सं0 255 में समाहित/ दर्ज कर दी गयी है, जो कि ग्राम के समस्त व्यक्तियों के सामुदायिक प्रयोग के लिए सन् 1359 फ0 के खसरे में तालाब के खाते में दर्ज थी, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।
ग्राम-पाता परगना करारी तहसील मंझनपुर की वर्तमान में ग्राम पाता की प्रचलित खतौनी सन् 1429-1434 फ० में गा०सं० 1161 तालाब के दो खाते चल रहे खातों जैसे खाता सं० 1537 गा0सं0 1161 मि० रक्बा 0.914 हे० तथा खाता सं० 1537 गा०सं० 1161 रक्बा 0.525 हे० समेकित रक्बा 1.439 हे0 (6 बीघा 6 विस्वा) तालाब कम इन दोनों खातों को एक ही खाता कायम करते हुए तथा खतौनी सन् 1429-1434 फ0 के खाता सं० 506 की आ०सं० 1161 मि० रक्बा 0.114 हे0 पर अंकित खातेदार प्रेमचन्द्र पुत्र बैजनाथ, सजान कुमार पुत्र बैजनाथ, नीरू केशरवानी पुत्र राकेश कुमार, आदित्य आदित्य कुमार पुत्र राकेश कुमार, नीतू केशरवानी व कोमल केशरवानी पुत्रीगण राकेश कुमार निवासीगण नेता नगर मंझनपुर का नाम निरस्त कर उपरोक्त भूमि को पूर्व की भांति भूमि श्रेणी 6(1) अकृषिक भूमि/जलमग्न/तालाब के खाता सं0 01537 में समाहित/दर्ज कर दी गयी है, जो कि ग्राम के समस्त व्यक्तियों के सामुदायिक प्रयोग के लिए सन् 1359 फ0 के खसरे में तालाब के खाते में दर्ज थी, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।
ग्राम-पुनवार परगना अथरवन तहसील मंझनपुर की खतौनी सन् 1428-1433 फ0 के खाता सं० 10 की आ0सं0 285 मि० रक्बा 0.114 हे0 व खाता सं० 235 की आ०सं० 285 मि० रक्बा 0.114 हे0 व खाता सं0 267 की आ0सं0 285 मि० रक्बा 0.457 हे० व खाता सं० 294 की आ०सं० 285 मि० रक्बा 0.114 हे0 व खाता सं0 391 की आ०सं० 285 मि० रक्बा 0.171 हे० पर अंकित खातेदारों का नाम निरस्त कर उपरोक्त भूमि/गाटों को पूर्व की भांति भूमि श्रेणी 6(1) अकृषिक भूमि/जलमग्न/तालाब के खाते के खाता सं० 00535 में समाहित/दर्ज कर दी गयी है, जो कि ग्राम के समस्त व्यक्तियों के सामुदायिक प्रयोग के लिए सन् 1359 फ0 के खसरे में तालाब के खाते में दर्ज थी, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।
ग्राम-पश्चिम शरीरा परगना अथरवन की वर्तमान खतौनी सन् 1425-1430 फ0 के खाता सं० 1155 में अंकित गा0सं0 1797 रक्बा 0.219 हे0 में अंकित खातेदार इन्द्रभान यादव व सूर्यभान यादव पुत्रगण पन्नालाल व रन्नू देवी पत्नी पन्नालाल नि०ग्राम पश्चिम शरीरा का नाम निरस्त करते हुए तथा इनके द्वारा किये गये समस्त सम्व्यवहारों को शून्य घोषित करते हुए वादग्रस्त भूमि को पूर्व की भांति ग्रामसभा के नवीन परती के खाता में समाहित/दर्ज कर दी गयी है, जो कि सुरक्षित भूमि थी। सन् 1359 फ0 के खसरे में नवीन परती के खाते में दर्ज थी, जिसे अब सही करते हुए राजस्व अभिलेख लोकहित में संशोधित कर दिया गया है।