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कहीं वनरक्षक तो नहीं बन रहे वन तथा वन प्राणियों के भक्षक?

टाइगर मृत्यु मामले में संजय टाइगर रिजर्व सीधी अमले की भूमिका संदिग्ध।

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*कहीं वनरक्षक तो नहीं बन रहे वन तथा वन प्राणियों के भक्षक?*

 

*टाइगर मृत्यु मामले में संजय टाइगर रिजर्व सीधी अमले की भूमिका संदिग्ध।*

 

*वन अमले की कार्य प्रणाली से ग्रामीण जनों में उपज रहा असंतोष व आक्रोश।*

 

*अरविंद सिंह परिहार सीधी*

 

मामला विगत 18 अगस्त की रात्रि को संजय टाइगर रिजर्व सीधी वन परिक्षेत्र दुबरी के डेवा वृत्त के बीट खरबर के कक्ष क्रमांक 509 में खूंटी गाडकर फैलाए गए विद्युत युक्त जीआई तार में फसकर हुई नर बाघ टी 43 से जुड़ा का है। जिसमें संजय टाइगर रिजर्व सीधी के वन परिक्षेत्र दुबरी एवं बस्तुआ अमले की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है । जहां जिस तरह से विद्युत युक्त तार लगाया गया था लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं हो रहे हैं लोगों की माने तो उनको संदेह व शंका है कि रक्षक ही तो नहीं कर रहे वन एवं वन्य प्राणियों का भक्षण? वही संजय टाइगर रिजर्व सीधी द्वारा मृत्यु बात के संबंध में की गई कार्यवाही को संदेशप्रद बता रहे है ।जिसको लेकर क्षेत्र के लोगों में असंतोष और आक्रोश उपज रहा है जो आने वाले समय में वन हमले के लिए मुसीबत भी खड़ी कर सकता है!

विदित हो कि विगत 18 अगस्त के रात वस्तुआ से डेवा होते हुए बड़का डोल निकलने वाली मुख्य वन सड़क के पास ही बस्तुआ -दुबरी वन परिक्षेत्र के बाडर में जंगल के बीचों -बीच खूंटी गाडकर फैलाए गए विद्युत युक्त जीआई में फस कर एक नर बाघ की मौत हो गई थी। जिसे दवा कराकर लौट रहे ग्रामीणों द्वारा जलते हुए देखा गया। जिसकी सूचना ग्रामीणों द्वारा रात्रि 10 बजे से 11 बजे के बीच वन अमले को दी गई। वन अमला पहुंच सारी रात बाघ की रखवाली किया। सुबह-सुबह कार्यवाही करते हुए खोजी कुत्ते की मदद से कुछ संदेहियों को हियासत में लिया गया क्षेत्र के लोग भी संतुष्ट थे। अपुष्ट सूत्रों की माने तो जिन संदेहियों को हिरासत में लिया गया था वन हमले के मिले-जुले होने बताए जा रहे हैं। लेकिन जैसे ही जिले के अधिकारी वहां पहुंचे शायद अपनी कमियों को छुपाने एवं मेन अपराधियों को बचाने पैतरा बदल दए? उनकी यह कार्य प्रणाली उस समय और संदिग्धता के घेरे में आ गई जब वहां पर उपस्थित पत्रकारों को फोटो वीडियो लेने से प्रतिबंध लगाते हुए कुछ चुनिंदा पत्रकारों को फोटो वीडियो उपलब्ध करा लगाए गए विद्युत युक्त जीआई तार जो खूंटी गाड़कर डेढ़ -दो फिट की उंचाई तथा लगभग 200 मीटर की लंबाई तक फैलाया गया था। वही रोड क्रॉस करने के लिए 100 मीटर तक 15 फिट की ऊंचाई पर हरे वृक्षों के शाखों में सूखी लकड़ी तार से बांध व कील से गॉड उसी में विद्युत युक्त जीआई तार बंधा हुआ था। सूखी लकड़ियों एवं खुशियों में बांधा गया तार ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शिकारियों द्वारा हमेशा शिकार के लिए यह फैलाया जाता रहा हो। संजय टाइगर रिजर्व टीम द्वारा फसल की सुरक्षा के लिए किसानों द्वारा लगाया गया बताया गया। तभी से लोग भयभीत थे कि कहीं वन अमला मेन अपराधियों को बचाने एवं छोटे गरीब किसानों को फसाने की साजिश तो नहीं कर रहा है और शायद हुआ भी वही जिसे लोगों का डर था। वन अमले द्वारा की गई अमानवी एवं मनमानी कार्यवाही से ग्रामीण जनों में असंतोष और आक्रोश व्याप्त हो रहा है।जो वन अमले के सामने एक न एक दिन मुसीबत खड़ी कर सकता है। अब देखना होगा जबकि इस मामले में वन अमले द्वारा की गई कार्यवाही से ग्रामीण जनों में असंतोष और आक्रोश उपज रहा है विधायक के आने का इंतजार कर रहे हैं। इसके पूर्व कि विधायक से शिकायत ना हो वरिष्ठ अधिकारी क्या कुछ कवायत करते हैं?

 

*ग्रामीणों ने मीडिया के लोगों से लगाई जान माल की सुरक्षा की गुहार*

 

जैसे ही ग्रामीण जनों को खबर हुआ कि बीच जंगल में मुख्य मार्ग के पास लगाए गए विद्युत युक्त जीआई तार को वन हमले के द्वारा प्रथमदृष्टया किसानों द्वारा फसल सुरक्षा के लिए लगाया जाना बताया जा रहा है। जबकि जिस स्थान पर घटना घटित हुई है वहां से 1- 2 किलोमीटर की दूरी तक खेती का कोई वास्ता नहीं है। उसी समय वे भयभीत हो गए क्योंकि पूर्व में भी में अपराधियों को बचाने के लिए किस तरह का षड्यंत्र रचा जा चुका था। जो मीडिया के पहुंचने पर निष्पक्ष रूप से सार्थक कार्यवाही किए- कराए जाने की मांग करते हुए जान मालकी सुरक्षा तथा न्याय दिलाने की गुहार लगाए हैं।

 

*यहां मानी जा रही वन हमले की संदिग्ध भूमिका*

1– जिस स्थान पर जिस स्थिति में तार लगाया गया था ऐसा प्रतीत हो रहा था कि विगत कई दिनों से लगाया जा रहा है।जो मेन वन मार्ग वस्तुआ से डेवा होते हुए बड़का डोल निकलतीं है तथा वही में जंगल से खरबर तरफ आती है उसे क्रास कर शाम ढलते ही तार लगा दिया जाता रहा होगा जिस पर वन अमले व ट्रैकिंग टीम की नजर क्यों नहीं पड़ी? जबकि बस्तुआ रेंज की गिजोहर चौकी पास में ही है।

2–बीच जंगल में लगाए गए विद्युत युक्त जीआई तार को जो की खूंटी गाड डेढ़ से दो फिट की ऊंचाई में 200 मीटर तक फैलाया गया था किसानों द्वारा फसल की सुरक्षा के लिए लगाया जाना बताया जा रहा है।

 

3– सुबह-सुबह जब तक जिले की टीम नहीं पहुंची थी खोजी कुत्ते की मदद से तीन-चार लोगों को हिरासत में लिया गया था जिन्हें बताया जा रहा है मीडिया के चले आने तथा टाइगर को जलाने के बाद तुरंत छोड़ दिया गया।

4– उपस्थिति मीडिया के नजरों से बच खोजी कुत्ते को गाड़ी में बैठा ले जाकर लोगों के घर आंगन में घुमा घुमा कर लोगों को हिरासत में लेना।

 

5–उपस्थिति मीडिया एवं को संपूर्ण कार्यवाही किए जाने के बाद भी मृत बाघ के पास जाकर उसके उसके शारीरिक अंगों का जायजा लेना व फोटो वीडियो लेने से प्रतिबंधित करना तथा चुनिंदा दूरगामी मीडिया को जो वहां नहीं थे को फोटो वीडियो उपलब्ध कराते हुए अपने मन मुताबिक खबर चलवाना।

 

6–ऐसे लोगों को हिरासत में लेना एवं मुजरिम बनाना जिनके घर एवं खेत घटनास्थल से काफी दूर गांव में होना!

 

7– उपस्थित स्थानीय मीडिया जो वहां पर उपस्थित होकर सारी घटना को देखा एवं जायजा लिया उनके सवालों का जवाब व बयान कथन ना देना।

 

*क्या चौकीदारों के हवाले छोड़ी गई है वन एवं वन प्राणियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी*

 

विगत कुछ दिनों जब से नए वन परिक्षेत्र अधिकारी वस्तुआ एवं दुबरी में पदस्थ हुए है इनके साथ अधिकांश वन अमला मझौली क्षेत्र में देखें जा रहें है यहां तक की शासकीय वाहन का भी उपयोग निजी काम परिवारों को घुमाना एवं बच्चों को स्कूल छोड़ने में किया जा रहा है।

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