सावन के चौथे सोमवार पर काशी लक्ष्मणेश्वर खरौद मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
संवाददाता
शिव कुमार शर्मा शिवरीनारायण
रिगनी / खरौद सावन के चौथे सोमवार को नगर पंचायत खरौद के प्राचीन लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा। सुबह चार बजे से ही दर्शन-पूजन और जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने धतूरा, बेलपत्र अर्पित कर मंगलकामनाएं कीं। दिनभर शिव भक्तों की लंबी कतारें मंदिर प्रांगण में लगी रहीं मंदिर के पुजारी ने बताया कि खरौद नगर प्राचीन छत्तीसगढ़ के पांच ललित कला केन्द्रों में से एक है और मोक्षदायी स्थल होने के कारण इसे “छत्तीसगढ़ की काशी” भी कहा जाता है। मान्यता है कि भ्राता लक्ष्मण की विनती पर भगवान श्रीराम ने यहां लक्ष्मणेश्वर महादेव की स्थापना की थी। मंदिर नगर के प्रमुख देव के रूप में पश्चिम दिशा में पूर्वाभिमुख स्थित है, जिसके चारों ओर पत्थर की मजबूत दीवार बनी हुई है दीवार के भीतर 110 फीट लंबा और 48 फीट चौड़ा चबूतरा है, जिस पर 48 फीट ऊंचा और 30 फीट गोलाई वाला मंदिर स्थित है। माना जाता है कि पहले यहां एक बृहदाकार मंदिर निर्माण की योजना थी। गर्भगृह में स्थापित विशिष्ट शिवलिंग की खासियत यह है कि इसमें एक लाख छिद्र हैं, इसी कारण इसका नाम “लक्षलिंग” पड़ा सावन के चौथे सोमवार पर नगर में जगह-जगह खीर, पुरी, हलवा, केला, फोहा और ठंडे पानी की सेवा व्यवस्था की गई। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया।
नगर पंचायत अध्यक्ष गोविंद यादव ने कहा कि “लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। सावन का हर सोमवार हमें भक्ति के साथ-साथ सेवा और आपसी भाईचारे का संदेश देता है वहीं, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रधुवीर यादव ने बताया कि “सावन का यह पवित्र महीना हमें शिवभक्ति के साथ सेवा का महत्व भी सिखाता है। चारों सोमवार लगातार रामायण कीर्तन से नगर पंचायत खरौद में धार्मिक वातावरण और भी पवित्र हो गया है।”