News By- हिमांशु उपाध्याय/ नितिन केसरवानी
*धरती के देवता कहलाने वालों ने की इंसानियत से गद्दारी*
*कौशाम्बी :* सावन के महीने में जब जनसेवा और करुणा की बात की जाती है, उसी वक्त कौशांबी जिले के संदीपनघाट थाना क्षेत्र से एक ऐसी अमानवीय घटना सामने आई, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया। 108 एंबुलेंस सेवा से जुड़े दो कर्मियों ने अपने कर्तव्यों को न सिर्फ तिलांजलि दी, बल्कि एक तड़पते, साँस लेते इंसान को मौत के मुंह में धकेल दिया।
*बेहोशी में पड़ा युवक, पुलिया के पास छोड़ भागे एंबुलेंस कर्मी*
गुरुवार की सुबह आलमचन्द्र गांव के चौकीदार कल्लू ने सूचना दी कि पुलिया के पास एक युवक अचेतावस्था में पड़ा है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए उसे जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां से एसआरएन हॉस्पिटल प्रयागराज रेफर किया गया। मगर अफसोस, इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
*पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने माना चुनौती, पुलिस और SOG ने खोला राज*
घटना की गहराई और असंवेदनशीलता को देखते हुए एसपी कौशांबी राजेश कुमार ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध मानते हुए विशेष टीम गठित कर जांच के निर्देश दिए। संदीपनघाट थानाध्यक्ष शशिकांत मिश्रा व SOG, सर्विलांस यूनिट ने तकनीकी विश्लेषण, CCTV फुटेज, मोबाइल लोकेशन और मुखबिर सूचना के आधार पर हकीकत सामने लाई।
*108 नंबर एंबुलेंस बनी मौत की सवारी*
जांच में यह सामने आया कि प्रयागराज के मुंडेरा मंडी से सूचना पर पहुंचे 108 एंबुलेंस वाहन संख्या UP32EG 4897 के कर्मी, नरेश कुमार सरोज, निवासी विसारा, थाना कोखराज, आशीष मिश्रा, निवासी चन्दूपुर, थाना सराय अकिल — बेहोश युवक को अस्पताल ले जाने के बजाय आपस में बेरहम चर्चा करते रहे कि “अज्ञात मरीज को डॉक्टर नहीं देखेगा”, “कोई जिम्मेदारी नहीं लेगा”, और इस दुविधा में पड़कर उन्होंने उसे चुपचाप पुलिया पर फेंक दिया और भाग गए।
*दोषी करार: लोक सेवक बन गए लापरवाही के प्रतीक*
जबकि युवक जीवित था, साँसे चल रही थीं — थोड़ा संवेदना और थोड़ा साहस शायद उसकी जान बचा सकता था। मगर इन तथाकथित ‘धरती के भगवानों’ ने लापरवाही नहीं, बल्कि हत्या जैसा अपराध कर डाला। इन दोनों कर्मियों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें तेरामील, सैयद सारांवा रोड के पास से गिरफ्तार किया गया।
*ये सिर्फ लापरवाही नहीं, यह मानवता के खिलाफ साजिश है*
एक ऐसे समय में जब हर सेकंड कीमती था, एंबुलेंस कर्मियों ने इंसान को ‘मरीज’ नहीं बल्कि ‘बोझ’ समझा — यही सोच उस तड़पते इंसान की साँसों पर भारी पड़ गई।
*जनता में आक्रोश, पुलिस की तत्परता सराहनीय*
कौशांबी पुलिस की सघन कार्यप्रणाली, तकनीकी दक्षता और मानवीय संवेदना ने इस अमानवीय अपराध की परतें खोल दीं। एसपी राजेश कुमार द्वारा गठित टीम ने चंद दिनों में मामले का खुलासा कर दोषियों को कानून के शिकंजे में ला खड़ा किया।