स्थानांतरण के बाद भी नहीं छूटा देवहरा विद्यालय का मोह, आदेशों को ताक पर रख बैठे हैं प्रभारी प्राचार्य
स्थानांतरण के बाद भी नहीं छूटा देवहरा विद्यालय का मोह, आदेशों को ताक पर रख बैठे हैं प्रभारी प्राचार्य
अनूपपुर, म.प्र.नगर परिषद बरगवां अंतर्गत देवहरा में संचालित शासकीय विद्यालय में पदस्थ प्रभारी प्राचार्य का स्थानांतरण शिक्षा विभाग द्वारा बुढ़ार विकासखंड में पहले ही कर दिया गया है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि स्थानांतरण आदेश जारी होने के बावजूद प्राचार्य अब तक विद्यालय का कार्यभार छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
ऐसा प्रतीत होता है मानो विभागीय आदेशों की अहमियत उनके लिए शून्य हो चुकी है। क्या यह मात्र भावनात्मक जुड़ाव है या फिर राजनीतिक संरक्षण के बल पर वे खुलेआम आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं? यह प्रश्न अब जनचर्चा का विषय बनता जा रहा है।
पहले भी लग चुके हैं अनैतिक गतिविधियों के आरोप
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व देवहरा ग्राम के सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर उक्त प्राचार्य के अनैतिक कृत्यों की शिकायत की थी। स्थानीय अभिभावकों ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए प्राचार्य को तत्काल हटाने की मांग की थी। जनदबाव और सबूतों के आधार पर प्रशासन ने आखिरकार उन्हें बुढ़ार विकासखंड के लिए स्थानांतरित कर दिया था।
लेकिन तब से अब तक प्राचार्य देवहरा विद्यालय में ही जमे हुए हैं। ना तो कार्यभार सौंपा गया और ना ही नए स्थान पर योगदान किया गया। यह स्थिति विभागीय कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है।
नौकरी दिलाने के नाम पर अवैध वसूली के आरोप
इतना ही नहीं, स्थानीय सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षकों की भर्ती के नाम पर भी कथित रूप से आर्थिक लेन-देन किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इच्छुक अभ्यर्थियों से ₹20,000 से ₹30,000 तक की मांग की जा रही है। “भोपाल तक मेरी सेटिंग है, पैसे दो और नौकरी पाओ,” जैसी बातें खुलेआम कही जा रही हैं।
इस तरह की अवैध मांगें क्षेत्र के भोलेभाले, शिक्षित युवाओं को ठगने का जरिया बनती जा रही हैं। रोजगार की तलाश में लगे युवा इस झांसे में आकर अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं।
प्रशासनिक चुप्पी पर उठ रहे सवाल
अब सवाल उठता है कि जब स्थानांतरण आदेश जारी हो चुका है, तो संबंधित प्राचार्य पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? क्या विभाग के उच्च अधिकारी भी इस पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञ हैं या फिर जानबूझकर आंख मूंद ली गई है?
समय आ गया है कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में इस तरह की अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई की जाए। अन्यथा इसका प्रतिकूल प्रभाव न केवल विद्यालय के वातावरण पर पड़ेगा, बल्कि बच्चों के भविष्य पर भी सीधा असर होगा।