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डीएम साहब सुनो पुकार, गांवो में नहीं है स्वास्थ सेवाओं की दरकार घर बैठ कर ले रहीं हैं तनख्वाह, तनिक भी नहीं है डर

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News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी

कोई मेरठ में तो कोई लखनऊ से कर रहा ड्यूटी, दस में से अधिकतर आठ गायब

कौशांबी: जिले में स्वास्थ्य सेवाएं।इस समय बेपटरी हैं। डॉक्टर ही नहीं बल्कि गांवों में तैनात किए गए सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी भी अपनी ड्यूटी नहीं कर रहे हैं। कोई मेरठ में अपने घर बैठ कर ड्यूटी निभा रहा है तो कोई लखनऊ में अपने पति के साथ ड्यूटी सहयोग कर रही है। जबकि उनको आवंटित किया गया क्षेत्र शून्य है। गांवों में स्थापित किए गए स्वास्थ्य केंद्र वीरान है। गांवों के लोगों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच रहे है। ऐसे लापरवाह डाक्टर और सीएचओ को किसी भी प्रकार का भय नहीं है। क्षेत्र के लोगों ने स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है।

अभी सिर्फ बात की जाए तो सिर्फ अकेले चायल तहसील के स्थानीय ब्लाक की तो इस क्षेत्र में अंतर्गत आने वाले कुल 28 गांव और दो शहरों क्षेत्रों के लिए लगभग एक दर्जन (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) सीएचओ तैनात किए गए हैं। महकमे ने शासन के आदेश पर इन सी एच ओ को जिम्मेदारी देते हुए गांवों में एक एक उप स्वास्थ्य केंद्र के अलावा कई अन्य प्रकार की सुविधाएं दी है, ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने में कोई भी लापरवाही न हो। लेकिन गांवों की स्थिति और वहां के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात सीएचओ की स्थिति में बड़ा अंतर है। तैनात किए गए सीएचओ गांवों में कभी भी नहीं जाती है। घरों में बैठकर वह फोन से अपना कोरम पूरा पूरा कर लेती है। इसलिए गांवों के लोगों को अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सामुदायिक अथवा जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। बुधवार को चायल ब्लाक क्षेत्र के गांवो में स्थापित किए गए उप स्वास्थ्य केंद्र और वहां पर तैनात किए गए सीएचओ के बारे में जब पड़ताल की गई तो कोई भी जिम्मेदार केंद्र पर नहीं मिला। चिल्ला शहबाजी, चौराडीह, दनियालपुर, बलीपुर टाटा, पहाड़पुर सुधवर, मीरपुर, महमूदपुर मनौरी, कसेंदा, रैया देह माफी, मोहम्मदपुर आदि गांवों के उप स्वास्थ्य केंद्र से जिम्मेदार गायब रहे। पूछने पर ग्रामीणों ने बताया कि वहां कभी कोई भी अधिकारी अथवा कर्मचारी काम करने नहीं आते है। मात्र कुछ ग्रामीणों और आशा बहु के फोन संपर्क से ड्यूटी निभाई जा रही है।

अफसर भी खामोश, सिर्फ कागजों पर संचालित हो रही सेवाएं

क्षेत्र और गांवों में संचालित होने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर अफसर भी खामोश है। वैसे तो कार्रवाई के नाम पर आए दिन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ अभियान और उनको नोटिस देने जैसी बातें प्रकाश में आती रहती है, लेकिन क्षेत्र में स्थापित उप स्वास्थ्य केंद्रों से गायब होने वाले चिकित्सक, सी एच ओ को लेकर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इसको लेकर अफसर खामोश हैं। अब इसको लेकर खामोश रहने वाले अफसरों की वजह कुछ भी हो लेकिन यह खामोशी बेवजह इस लिए साफ साफ बयां हो रही है कि यदि गांवों में तैनात चिकित्सक और सी एच ओ जब अपने क्षेत्र में नियमित काम करने लगेंगे तो क्षेत्र और गांवों में झोलाछाप डॉक्टरों को जगह ही नहीं मिल पाएगी।

क्या कहते हैं सीएमओ

मुख्य चिकित्साधिकारी संजय कुमार ने बताया कि पूरे जिले में स्थापित उप स्वास्थ्य केंद्र और एएनएम सेंटर की बारीकी से निगरानी कराई जा रही है। केंद्रों से गायब रहने वाले डॉक्टरों, एएनएम, सी एच ओ और अन्य कर्मचारियों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

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