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देश के चिन्हित घातक सड़क दुर्घटनाओं वाले जिलोंं में सम्मिलित

अधिक संख्या में घातक सड़क दुर्घटनाओं वाले सौ जिले, मध्यप्रदेश में हैं ऐसे छह जिले

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देश के चिन्हित घातक सड़क दुर्घटनाओं वाले जिलोंं में सम्मिलित

 

अधिक संख्या में घातक सड़क दुर्घटनाओं वाले सौ जिले, मध्यप्रदेश में हैं ऐसे छह जिले

 

सतना। जिला सतना सहित देश भर में सड़क दुघर्टनाएं चिंता का बड़ा कारण बनी हुई हैं। ऐसा नहीं है कि इसके कारण पता न चलें और इसके निराकरण न हो सकें। इसके लिए आवश्यकता है तो एक सुचारू प्लान और क्रियान्वयन की। केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश के 100 ऐसे जिले जहां अधिक संख्या में घातक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं, उन्हें सेफ लाईफ फाउण्डेशन के सर्वे के माध्यम से चिन्हित किया है। देश के चिन्हित इन 100 जिलों में मध्यप्रदेश के 6 जिले चिन्हित किये गये हैं। जिसमे एक सतना है। विदित हो कि सड़क दुर्घटनाएं रोकने सड़क सुरक्षा समिति को दायित्व पूर्व से सौंपे गए थे। कई बार बैठकें भी होती चली आ रही हैं पर उसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया पर अब जबकि केंद्रीय मंत्रालय द्वारा सर्वे कराया गया है और उसके लिए प्लान तैयार किया गया है तो सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की दिशा में अपेक्षाएं बढ़ सकती हैं। 27 मार्च 2025 तक भारत में कुल 780 जिले हैं। जिसमे सौ जिलों में सतना का नाम सम्मिलित होना एक बड़ी सजगता को ओर संकेत करता है।

ये हैं प्रदेश के छह जिले

प्रदेश के जिन छह जिलों को चिन्हित किया गया है उसमे ये जिले सतना, रीवा, धार, सागर, जबलपुर एवं खरगोन हैं। इन सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा जीरो फेटेलिटी डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम के तहत सभी जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इन सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को चिन्हित करते हुए योजना तैयार की जाये। इसके बाद आवश्यक कार्य किए जाएं जिससे इन सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लग सके। आईआईटी मद्रास के सेंटर ऑफ इलियेंस ऑफ रोड सेफ्टी ( सड़क सुरक्षा के लिए पर्यावरण सेंटर)द्वारा ऐसी रणनीति पर कार्य किया गया है, जिसके तहत प्रत्येक स्थल एवं सड़क कॉरिडोर जहाँ दुर्घटनाएं अधिक संख्या में हो रही हैं, वहां कम लागत वाले अति स्थानीय कार्यों को चिन्हित किया गया है। उन कार्यों के लिये जिला प्रशासन को सहयोग दिया जाएगा।

कमिश्नर-कलेक्टर को निर्देश जारी

इस संबंध में राज्य शासन के परिवहन विभाग की ओर से सभी कमिश्नर एवं जिला कलेक्टर्स को विस्तृत निर्देश जारी किये गये हैं। मुख्य सचिव द्वारा भी इस कार्य की लगातार समीक्षा की जा रही है। कार्य योजना के तहत सभी जिला कलेक्टर्स को निर्देशित किया गया है कि वे जिले में एडीएम अथवा एसडीएम स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त करें तथा यह नोडल अधिकारी जिले की सड़क एजेन्सियों के अधिकारियों के साथ बैठक करके संभावित दुर्घटना स्थलों और सड़क कॉरिडोर की जानकारी संकलित करें। ऐसे स्थल अथवा सड़क कॉरिडोर जहां लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं उन्हें एनआईसी पोर्टल से चिन्हित किया जा सकेगा। कुछ ऐसे स्थल, जहां संभावित घातक दुर्घटना हो सकती हैं तथा वर्तमान में छुटपुट दुर्घटनाएं निरंतर हो रही हैं, ऐसे स्थलों की जानकारी जैसे स्थानीय पुलिस, स्थानीय निकायों, आमजन आदि से एकत्रित करने के निर्देश कलेक्टर्स को दिये गये हैं।

पीडब्ल्यूडी के पास होगा बजट का प्रावधान

जिले के ऐसे चिन्हित सड़क दुर्घटनाओं के स्थल एवं सड़क कॉरिडोर का निरीक्षण सभी संबंधित सड़क एजेंसी के जिला अधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जायेगा तथा दुर्घटना के तकनीकी और इंजीनियरिंग कारणों को आंकलित कर लेखबद्ध किया जाएगा। मौका निरीक्षण के बाद तकनीकी कारण जिनकी वजह से दुर्घटनाएं हो रही हैं उनकी जानकारी लेने के बाद निराकरण के लिये अतिस्थानीय एवं कम लागत के उपाय भी संबंधित सड़क एजेन्सी के इंजीनियर करेंगे। जिला कलेक्टर, नोडल अधिकारी एवं सड़क एजेन्सी के इंजीनियर के माध्यम से जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में इनकी प्रस्तुतीकरण की जायेगी। इन कम लागत से होने वाले व्यय के लिये लोक निर्माण विभाग को निर्देशित किया गया है कि प्रत्येक जिले में समुचित बजट प्रावधान सुनिश्चित किया जाये। इस पर होने वाले व्यय के लिये राशि जिला खनिज प्रतिष्ठान निधि, सांसद एवं विधायक निधि से प्राप्त करने के प्रयास किये जायेंगे।

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