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वर्षों से अभिभावकों की आँखों में धूल झोंक रहे बॉयज़ हाई स्कूल एंड कॉलेज के कार्यवाहक प्रिंसिपल को आख़िर किया गया बर्खास्त

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News By-नितिन केसरवानी

फ़र्ज़ी मार्कशीट के आधार पर 15 सालों में 3.6 करोड़ उठाया वेतन। स्कूल प्रबंधन विवाद की आड़ में सरकार को करता रहा गुमराह।

प्रयागराज: पीडी टंडन रोड स्थित बॉयज़ हाई स्कूल के कार्यवाहक प्रिंसिपल डेविड ल्यूक पर लगातार उनकी योग्यता और डिग्री को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ग़ौरतलब हो कि बॉयज़ हाई स्कूल शहर का एक प्रतिष्ठित कॉलेज है जहां समाज का एक सम्पन्न तबका अपने बच्चों का बेहतर शिक्षा के लिया दाख़िला कराता है, जहां माननियों से लेकर न्यायाधीशों तक के बच्चे केवल इस भरोसे पर पढ़ते हैं कि स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक उच्च योग्यता के हों ताकि उनके बच्चों को एक बेहतर भविष्य मिल सके। पर क्या हो जब ऐसे प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल की डिग्री ही पूर्णतः फ़र्ज़ी हो और वह लगातार 15 सालों से अभिभावकों और छात्रों की आँखों में धूल झोंक रहा हो? यह मामला किसी संस्था के आपसी विवाद का नहीं बल्कि सरकार की नाक के नीचे शिक्षा विभाग तथा प्रसाशन के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे व्यापक भ्रष्टाचार और अपराध से जुड़ा है। कार्यवाहक प्रिंसिपल डेविड ल्यूक के ख़िलाफ़ लगातार उनकी डिग्री को लेकर सवाल उठता रहा यहाँ तक कि कुछ लोगों की लिखित शिकायत पर कार्यवाही भी शुरू हुई पर रुपयों के रंग के आगे न्याय धुंधला हो गया। इसको न्याय प्रणाली की विफलता कहें या डेविड ल्यूक की धाक कि किसी भी अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं हुई कि वह उसकी डिग्रियों की जाँच करा ले। डेविड ल्यूक हमेशा स्कूल प्रबंधन के विवाद को सामने रख ख़ुद को बचाता रहा और उन्हीं विवादों की आँड़ में लगातार आर्थिक अपराध करता रहा ।

उसकी यह मंशा रही कि स्कूल प्रबंधन का विवाद कभी ख़त्म ना हो ताकि उसकी फ़र्ज़ी डिग्री की सच्चाई लोगों के सामने ना आए। बिशप मोरिस एडगर दान की तहरीर पर एफआईआर तो लिखी गई पर पुलिस द्वारा अब तक विवेचना ही चल रही है जबकि साक्ष्यों के आधार पर ऐसे गंभीर मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी की जानी आवश्यक है, नहीं तो डेविड ल्यूक ना जाने कितने और छात्रों के भविष्य पर अपनी कलम की स्याही पोत देगा । डेविड ल्यूक का औसतन वेतन क़रीब 2 लाख प्रतिमाह बताया जा रहा है जिसके आधार पर यदि देखा जाये तो डेविड ल्यूक ने अपनी फ़र्ज़ी डिग्री लगा कर सिर्फ़ वेतन के नाम पर 15 सालों में 3.60 करोड़ का ग़बन कर दिया। यही नहीं डेविड ल्यूक की पत्नी उसी स्कूल में बतौर कॉर्डिनेटर है और उसका भी वेतन उसके पति के वेतनमान के ही बराबर है यहाँ तक कि डेविड ल्यूक का बेटा भी उसी स्कूल में हैं जिसका वेतन भी 1.5 लाख के ही क़रीब है। अगर इन पूरे 15 सालों का हिसाब लगाया जाये तो यह पूरा प्रकरण अरबों में पहुँच सकता है। यह जानते हुए भी कि डेविड ल्यूक की डिग्री फ़र्ज़ी है ऐसे में उसका पद पर बने रहने और लाखों के वेतन उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता।

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