नितिन केसरवानी
*कौशाम्बी –:* हर साल लाखों सपनों की धड़कनों के बीच जब NEET जैसी अखिल भारतीय परीक्षा का दिन आता है, तो केवल छात्र ही नहीं, पूरा प्रशासन भी परीक्षा देता है—निष्पक्षता, सुरक्षा और संवेदनशीलता की परीक्षा। रविवार को कौशाम्बी ने यह साबित कर दिया कि जब सपनों की कीमत समझने वाले अधिकारी मोर्चा संभाल लें, तो परीक्षा केवल चार दीवारों में सीमित नहीं रहती, वह एक सामाजिक संकल्प बन जाती है। जिले के तीन प्रमुख परीक्षा केंद्रों—सराय अकिल व करारी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच परीक्षा शुरू हो गई है। एडीएम अरुण कुमार गौड़, एएसपी राजेश सिंह, एसडीएम आकाश सिंह और सीओ सत्येंद्र प्रसाद तिवारी ने व्यक्तिगत रूप से केंद्रों का निरीक्षण कर यह सुनिश्चित किया कि परीक्षार्थियों को एक निर्बाध, शांत और पारदर्शी माहौल मिले। सराय अकिल में भारी पुलिस बल की मौजूदगी ने सुरक्षा को लोहे की दीवार बना दिया।
हर प्रवेश द्वार पर तलाशी की त्रिस्तरीय प्रक्रिया, मोबाइल व स्मार्ट डिवाइसेस की सख्त रोकथाम, CCTV की निगरानी और विशेष महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती—यह सब इस बात का संकेत थे कि कौशाम्बी प्रशासन ने NEET को केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि ‘सपनों की इम्तिहानशाला’ मानकर उसकी गरिमा की रक्षा की। केंद्रों के बाहर अभिभावकों की आंखों में चिंता नहीं, बल्कि संतोष था—कि उनके बच्चों की परीक्षा केवल कलम की नहीं, सुरक्षा की भी जीत होगी। सीओ सत्येंद्र तिवारी ने दो टूक कहा, “यह हमारे बच्चों के भविष्य का सवाल है, यहां किसी भी प्रकार की चूक की कोई गुंजाइश नहीं।” NEET जैसी परीक्षा जहां एक तरफ प्रतिस्पर्धा की चोटी है, वहीं दूसरी ओर एक छात्र के जीवन की दिशा तय करने वाली निर्णायक घड़ी। कौशाम्बी में यह घड़ी प्रशासन की मुस्तैदी, संवेदनशीलता और सतर्कता के साथ गुज़री। यह केवल एक परीक्षा नहीं थी—यह उम्मीदों के संरक्षण की जिम्मेदारी थी, जिसे प्रशासन ने पूरी निष्ठा से निभा रहा है।