News By- नितिन केसरवानी
सौराष्ट्र के सोमनाथ मंदिर को तो सभी जानते है कि मुगल आक्रांताओं ने कई बार लूट कर विध्वंस कर दिया लेकिन आजाद भारत ने उस मंदिर के गौरव शाली प्रभुत्व को वापस ला दिया । लेकिन चित्रकूट के सुरम्य पहाड़ी में स्थित सोमनाथ का मंदिर अपने अस्तित्व के लिए रहनुमाओं का बाट जोह रहा है। भव्यता से पूर्ण रहा यह मंदिर चित्रकूट के मुख्यालय कर्वी से 12 किमी की दूरी पर चर गांव में पहाड़ियों के बीच स्थित है ।
कर्वी से प्रयागराज जाने वाले सड़क मार्ग पर गांव की उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर जाना पड़ता है । वाल्मीकी नदी के किनारे स्थित इस मंदिर के भग्नावशेष पड़े है मंदिर के भग्नावशेषों से मंदिर की भव्यता समझ में आती हैं मंदिर के गर्भ गृह में मध्य कालीन लिपि में सोमनाथ मंदिर अंकित है मंदिर के निर्माण का समय और राजवंश को लेकर इतिहास कार एक मत नही है कई लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण बघेल वंशी राजा कीर्ति सिंह ने कराया था लेकिन राजवंश के अभिलेखों में कीर्ति सिंह पर एक मत नही है पूर्व में राजा वयाघ्रदेव वंशज सुकीर्ति सौराष्ट्र छोड़कर पहले कलिंजर आए वहां मंदिर और किला बनवाया फिर चित्रकूट आकर सोमनाथ मंदिर के याद में इस मंदिर का निर्माण कराया तभी से इस पहाड़ी को सौरढ़िया कहा जाने लगा । कुछ दूर पर राजा का किला है कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यहां राज्य का खजाना था जिसके कारण इसे मुगलों ने ध्वस्त कर लूट लिया ।
रहस्यों से पूर्ण मंदिर में शिव की भव्य मूर्ति है साथ ही विष्णु भगवान की शयन मुद्रा की मूर्ति के अलावा गंर्धव, योगनिया, नर्तकी, सहित अद्भुत कलाकृतियां पत्थरों पर उकेरी गई है तीन अलग अलग तरीके के फलक है मंदिर के भग्नावशेषों को देखने से भव्यता समझ में आती है जिस तरह से कलाकृतियों को विखड़ितकिया है उससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारी संस्कृति के साथ कितना खिलवाड़ किया गया ।
मेरा मानना है इस मंदिर पर शोध की जरूरत है पुरातत्व विभाग भी संजीदा नही है आज जरूरत है ऐसे विरासत को नई पीढ़ी को पहचान कराने की ।