News By – नितिन केसरवानी
लखनऊ : 6 राजनैतिक दलों के 14 सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पब्लिक पॉवर यूटीलिटीज के किए जा रहे निजीकरण में तूरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई ) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पीएम को लिखें पत्र में कहा गया है कि पब्लिक पॉवर यूटीलिटीज की परिस्थितियों का मूल्यांकन करवाए बिना नीलामी के लिए मामूली बेस प्राइस निर्धारित कर बेशकीमती जमीनों एवं असेट्स को कौड़ियों के भाव में निजी कंपनी को हैंडओवर किया जा रहा है। पत्र में कहा गया है कि निजीकरण से बिजली के रेटों में भारी बढ़ोतरी होगी, जिसके कारण बिजली गरीब कंज्यूमर व किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएगी । इसलिए पीएम को मामले में तूरंत हस्तक्षेप कर बिजली के हितधारकों ( कर्मचारी व कंज्यूमर ) की मीटिंग बुलाकर डिटेल डिस्कशन करने की आवश्यकता है। श्री लांबा ने बताया कि ईईएफआई ने लोक सभा एवं राज्य सभा संसदों से उप्र सरकार द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम, यूटी पावर डिपार्टमेंट और राजस्थान डिस्कॉम के निजीकरण करने का मामला संसद में उठाने की मांग की थी। जिससे 6 राजनैतिक दलों के 14 सांसदों ने पीएम को पत्र लिखकर पब्लिक पॉवर यूटीलिटीज के किए जा रहे निजीकरण में तूरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि पीएम को लिखें पत्र में हस्ताक्षर करने वालों में जनता दल यूनाइटेड से प्रोफेसर मनोज कुमार झा व संजय यादव, समाजवादी पार्टी से जयवीअली खान, सीपीआई से कॉमरेड पी.संतोष कुमार व पी.पी.सुंदर, सीपीआई (एम) से कॉमरेड अमरा राम,एस.वीनकात सेन, के.राधाकृष्णन,आर. संचिता नाथम,जोहन ब्रीटास, डाक्टर वी.शिवादासन व ए.ए.रहीम ,आईयूएमएल से पी.वी.अब्दुल वहीब व हरीश बीरान शामिल हैं। श्री लांबा ने बताया कि नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) ने निजीकरण की तेज हो रही मुहिम के खिलाफ 23 फरवरी को नागपुर में राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया है। जिसमें उप्र सरकार द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम सहित निजीकरण की मुहिम के खिलाफ आगामी आंदोलन का फैसला लिया जाएगा।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि उपरोक्त संसदों के हस्ताक्षर युक्त पत्र में कहा गया है कि उप्र सरकार ने पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है। जबकि उप्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में ए.टी एंड सी लासिस कम करने के लिए “आरडीडीएस” के तहत इन निगमों में भारी निवेश किया है। पूर्वांचल डिस्कॉम का वित्त वर्ष 2024-25 में 15,596 करोड़ और दक्षिणांचल का 23,938 करोड़ रिवेन्यू है। दोनों डिस्कॉम का करीब 66000 करोड़ रुपए बकाया बिलों की राशि है। लेकिन इसके बावजूद अब यह सूचना मिल रही है और बिना मूल्यांकन कराये दोनों डिस्कॉम की नीलामी के लिए बेस प्राइस 1500 करोड़ रुपए निर्धारित कर दी गई है। अगर इसकी सीएजी से आडिट कराया जाए तो करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा। इसी प्रकार केन्द्र सरकार के निर्देश पर आत्म निर्भर भारत के नारे को साकार करने के नाम पर यूटी चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट 2.60 से लेकर 4.70 पैसे प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति करते हुए हर साल सैंकड़ों करोड़ का प्रोफिट कमा रहा है। इसके बावजूद यूटी प्रशासन ने जनता की संपत्ति का बिना मूल्यांकन कराये नीलामी के लिए 174.63 करोड़ रुपए बेस प्राइस निर्धारित कर दी और मात्र 871 करोड़ में बेच दिया गया। बेशकीमती जमीन को ( यह कहकर कि असेस्टस की कीमत रजिस्टर में दर्ज नहीं है ) एक रुपया प्रति माह और अन्य सभी असैटस एक रुपए प्रति आइटम प्रति माह किराए पर दे दिया है। पीएम को लिखें पत्र में कहा गया है कि राजस्थान सरकार ने भी जनरेशन और बेट्री स्टोरेज प्रोजेक्ट्स को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। तेलंगाना सरकार ने भी हेदराबाद के साऊथ सिटी बिजली वितरण सर्कल को अड़ानी ग्रुप को हैंडओवर करने का प्रयास किया है।