*आंगनबाड़ी केंद्र चल रहा भगवान भरोसे, संकट में बच्चों का भविष्य… पढ़िए पूरा मामला!*
*धरमजयगढ* सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने और बच्चों के समग्र विकास के लिए संचालित आंगनबाड़ी केंद्र अपनी बदहाली की वजह से चर्चा में है। हम बात कर रहे हैं, धरमजयगढ विकासखंड के परियोजना कापू क्षेत्र अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र पारेमेर में स्थित कौआडाही का जहां पर अधिकतर राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र माने जाने वाले कोरवा समुदाय के लोग निवासरत हैं जहां पर आंगनबाड़ी केंद्र देखरेख और उचित व्यवस्था के अभाव में यह केंद्र भगवान भरोसे चल रहा है, जिससे न केवल छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है।
*आजादी के 78 साल बीतने के बाद भी गाँव के ग्रामणी मौलिक अधिकार से रहे वांछित*
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, आंगनबाड़ी केंद्र में पोषण आहार, स्वच्छता और शिक्षा संबंधी सुविधाओं की भारी कमी है। कई बार बच्चों को मिलने वाले पोषक आहार की आपूर्ति समय पर नहीं होती, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। वहीं, शौचालय और पीने के पानी की सुविधा भी पूरी तरह से अव्यवस्थित है।
*कार्यकर्ता नदारद, देखरेख का अभाव*
ग्रामवासियों का कहना है कि आंगनबाड़ी केंद्र में तैनात कार्यकर्ता अनिमा तिर्की एवं सहायिका बसंती यादव अक्सर अनुपस्थित रहती हैं। जब वे आती भी हैं, तो केवल औपचारिकताएँ पूरी कर चली जाती हैं। बच्चों की सही देखभाल और पोषण पर ध्यान देने के बजाय कागजी कार्रवाई ही प्राथमिकता बन गई है।
*बच्चों की सेहत पर पड़ रहा असर*
अव्यवस्था और लापरवाही का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर भी साफ दिखने लगा है। कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि उनके बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। डॉक्टरों की समय-समय पर जांच भी नहीं होती, जिससे कई बीमारियों का समय पर पता नहीं चल पाता।
*ग्रामवासियों ने कहा जल्द होगी प्रशासन से शिकायत*
स्थानीय लोगों ने कहा कि प्रशासन से बहुत जल्द ही मांग करेंगे कि आंगनबाड़ी केंद्र की व्यवस्था को सुधारा जाए और जिम्मेदार कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो वे बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दे रहे हैं।
*प्रशासन कब देगा ध्यान?*
आंगनबाड़ी केंद्र बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं, लेकिन यदि वे खुद ही अव्यवस्था का शिकार हो जाएँ, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। अब देखना यह है कि प्रशासन कब इस ओर ध्यान देता है और कब इन मासूम बच्चों को उनका हक मिलता है।