Breaking News in Primes

संस्कारवान,नशामुक्त,आदर्श युवा ही सच्चे राष्ट्रनिर्माता- सूरते 

0 58

संस्कारवान,नशामुक्त,आदर्श युवा ही सच्चे राष्ट्रनिर्माता- सूरते

 

राजू पटेल कसरावद(खरगोन)

कसरावद तहसील क्षेत्र के ग्राम ओझरा में चार दिवसीय प्रज्ञा पुराण कथा का वाचन जारी है। कथा सुनने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से कथावाचक सूरत सिंह अमृते ने दुर्व्यसन पर बात करते हुए कहा कि आज छोटे छोटे बच्चे नशा कर रहे हैं। आज नई पीढ़ी को हमें नशे से मुक्त कराना है क्योंकि नशा बड़ा घातक है। नशा हम नहीं खाते बल्कि नशा हमें खा जाता है। उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार आज हर दिन हमारे देश में 72 अरब रुपए सिर्फ नशा में बर्बाद हो रहे हैं। यही नशा हमें अल्सर और कैंसर जैसी भयानक बीमारी दे रहा है। इसलिए उन्होंने उपस्थित सभी भाई-बहनों को नशा न करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि संस्कारवान और नशामुक्त आदर्श युवा ही सशक्त राष्ट्र के निर्माता हैं।

कथा में अमृते जी ने बताया कि मनुष्य के जीवन में सुख दुःख का कारण उसकी अपनी सोच होती है। संसार में जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं वे सब अपने ऊंचे विचारों के कारण हुए हैं। संत इमर्सन कहते हैं कि मनुष्य की एक मुठ्ठी में स्वर्ग है और दूसरी मुट्ठी में नर्क। यदि वह पाॅजिटीव सोचता है तो उसका घर स्वर्ग बन जाता है और यदि निगेटिव सोचता है तो उसका जीवन नर्क होता हुआ चला जाता है। इसलिए मनुष्य को अचिंत्य चिंतन से हमेशा बचना चाहिए और जीवन में सदैव सकारात्मक रहना चाहिए।

प्रातः 08 बजे से 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ शुरू हुआ। ओझरां सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से आए सैकड़ों दंपतियों ने यज्ञ में आहुतियां समर्पित कीं। यज्ञ में 14 बहनों के पुंसवन संस्कार, 18 बच्चों का मुंडन संस्कार, 11 बच्चों का नामकरण संस्कार, 08 बच्चों का अन्नप्राशन संस्कार और 50 से अधिक बच्चों का विद्यारंभ संस्कार देवमंच से शांतिकुंज हरिद्वार की ओर से यज्ञाचार्य गोपाल मालवीय, गायक सुनील बंशीधर, वादक नीरज विश्वकर्मा ने संपन्न कराया।

कथा उपरांत रात्रि में दीप महायज्ञ का आयोजन हुआ। लगभग 2000 से अधिक दीपों की रोशनी से पूरा प्रवचन पांडाल प्रकाशित हो उठा। हजारों की संख्या में उपस्थित माताओं-बहनों एवं युवाओं ने सबके लिए सद्बुद्धि और सबके उज्जवल भविष्य की मंगल कामना से दीप यज्ञ में भाव आहुतियां समर्पित कीं। समापन पर प्रज्ञा पुराण की आरती हुई। अंत में सभी को प्रसादी वितरित की गई।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

Don`t copy text!