सद्कर्म से ही जीवन का उद्गार- मीरा बेन
कसरावद में आयोजित श्रीमद देवी भागवतक कथा में देवी भगवती का हुआ प्राकट्य
राजू पटेल कसरावद(खरगोन)
जीवन का अंतिम सत्य है श्मशान, कोई कितना भी बड़ा हो, राजा हो या रंक सबको एक दिन शमशान जाना ही है। जीवन के सब रिश्ते स्वार्थ के है, यहां कोई किसी का नहीं होता, फिर भी कितनी ममता रहती हैं, कितना प्रेम रहता हैं। लेकिन कोई किसी के साथ नहीं जाता। हमारे कर्म हमारे साथ जायेगे। इसलिए सद्कर्म करे उससे ही जीवन का उद्गार है। उक्त बात भगवताचार्य मीरा बैन भट्ट ने नगर कसरावद की विश्वास जिनिंग परिसर में श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा समिति के तत्वावधान मे आयोजित श्रीमद देवी भागवत के छठवें दिन कहीं।उन्होंने कहा कि जीवन में बहुत समस्याये एवं शंकाएं आती है, इन सब शंकाओं का समाधान सद्गुरु के पास होता हे। सदगुरु की शरण में जाने से मनुष्य इस भवसागर से पार लग जाता है। कथा प्रसंग में भगवती देवी का प्राकट्य उत्सव मनाया गया। बालिका आराधिका मंडलोई को भगवती देवी के स्वरूप में सजाया गया। ढोल के साथ माता स्वरूपा बालिका को कथा पंडाल में लेकर आए। महिलाओ ने नाचते गाते मां का प्राकट्य उत्सव मनाया।शाम को कथा स्थल पर नगर की श्रीचिंतमणि हनुमान सुंदरकांड मंडल द्वारा सुंदर कांड किया गया। समिति के सचिव सुधीर सराफ ने बताया कि गुरुवार को श्रीमद देवी भागवत आयोजन का सातवां दिन है। सातवें दिवस देवी के 108 स्वरूपों का वृतांत होगा। वही मां पार्वती का प्राकट्य होगा।