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भव्य कलश एवं सद्ग्रंथ शोभायात्रा से हुआ ग्राम बामन्दी में प्रज्ञा पुराण कथा व 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ 

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भव्य कलश एवं सद्ग्रंथ शोभायात्रा से हुआ ग्राम बामन्दी में प्रज्ञा पुराण कथा व 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ

 

राजू पटेल कसरावद (खरगोन)

 

ग्राम बामंदी में होने जा रही बहुप्रतीक्षित पांच दिवसीय संगीतमय श्रीमद् पावन प्रज्ञा पुराण कथा एवं 24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आगाज़ भव्य कलश एवं सद्ग्रंथ शोभायात्रा के माध्यम से हुआ। यात्रा में ग्राम बामंदी सहित आसपास के ग्रामों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भागीदारी कर पुण्य लाभ लिया। यात्रा का शुभारंभ कथा स्थल से हुआ जो गांव की मुख्य गलियों से होती हुई वापिस कथा पांडाल पहुंची। यात्रा का जगह-जगह ग्रामवासियों ने जलपान एवं पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।

यात्रा का मुख्य आकर्षण झांसी की रानी, वीर शिवाजी, गायत्री माता, भारत माता बनी बालिकाएं रहीं जो घोड़ों पर बैठकर भक्ति और शौर्य का प्रदर्शन कर रही थीं। एक घोड़े पर महाराणा प्रताप बन वीर बालक लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा था। यात्रा के सबसे आगे मुख्य शक्ति कलश रथ चल रहा था जिसका जगह-जगह मातृशक्ति ने पूजन अर्चन किया। शक्ति कलश के पीछे दिवंगत संत सियाराम बाबा की दिव्य झांकी सबकी श्रद्धा आस्था का केंद्र रही । इसके पीछे हाथों में पीत ध्वज लिए नन्ही मुन्नी बालिकाएं यात्रा में केशरिया छटा बिखेर रही थीं। इनके पीछे रामायण, गीता और प्रज्ञा पुराण ग्रंथ को सिर पर धारण कर ‘आओ लौटें वेदों की ओर’ का उदघोष करते चल रहे थे। इनके ठीक पीछे सिर पर कलश धारण किए मातृशक्ति अपने भाग्य को सराह रही थीं। यात्रा में अयोध्या के राम मंदिर की भव्य झांकी भी लोगों का मन मोह रही थी। यात्रा में युवकों की टोलियां ओजस्वी गीतों की प्रस्तुति देते चल रही थी। नव युवतियां भी धर्म ध्वजा धारण किए जयघोष करती चल रही थीं।

कार्यक्रम स्थल पर गायत्री परिवार के युवा कार्यकर्ता भाई बहनों द्वारा भारत का मानचित्र, ज्ञान यज्ञ की मशाल, विशाल ध्वज एवं जय जवान जय किसान के साथ ही बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ की रांगोली बनाकर सुंदर संदेश आमजन को दिया गया है।

कलशयात्रा के पूर्व व्यासपीठ से शांतिकुंज हरिद्वार से आई टोली द्वारा मातृवंदना के साथ देव आह्वान एवं कलश पूजन का क्रम संपन्न हुआ। यात्रा के समापन पर प्रवचन पांडाल से पांच दिवसीय कार्यक्रम के संबंध में संक्षिप्त उदबोधन हुआ। तत्पश्चाताप सभी ने मिलकर गायत्री माता की आरती की। अंत में सभी भक्तगणों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की।

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