सीपीएम नेता सीताराम येचुरी के निधन से बैलाडीला के वामपंथियों में शोक की लहर”
किरंदुल: 12 अगस्त 1952 को मद्रास (चेन्नई) के एक तेलुगु भाषी ब्राह्मण परिवार में जन्मे, सीपीआई (एम) के नेता, सीताराम येचुरी एक सफल भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने खुद को हमारे देश की लोकतांत्रिक मशीन में एक महत्वपूर्ण भूमिका में साबित किया था, अक्सर उन मुद्दों का जोरदार समर्थन करते थे जिन पर उन्हें विश्वास था।
“तीन बार चुने गए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष”
येचुरी को 1975 में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किया गया था, उस समय वे जेएनयू में छात्र थे। गिरफ्तारी से पहले वे कुछ समय के लिए भूमिगत रहे और आपातकाल के खिलाफ प्रतिरोध का आयोजन किया। आपातकाल के बाद, वे एक वर्ष (1977-78) के दौरान तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। येचुरी ने प्रकाश करात के साथ मिलकर जेएनयू में वामपंथी गढ़ बनाने में अहम भूमिका निभाई।
“मरणोपरांत अपने शरीर को किया दान”
मार्क्सवादी राजनीतिज्ञ व पूर्व सांसद सीताराम येचुरी ने अपना शरीर डोनेट किया हुआ है। उन्होंने अपने शरीर को रिसर्च और टीचिंग के लिए डोनेट कर रखा है। इसलिए शनिवार यानी 14 सितंबर को उनका शरीर सीपीएम दफ्तर में लाया जाएगा, लेकिन इसके बाद फिर से उनके पार्थिक शरीर को एम्स में लाया जाएगा। क्योंकि उन्होंने अपना शरीर डोनेट कर रखा है। वामपंथी विचारधारा के इस महान शख्शियत के निधन पर बैलाडीला क्षेत्र के सभी वामपंथियों में शोक की लहर है। बैलाडीला के सीपीआई नेता के. साजी ने कहा कि सीताराम येचुरी वामपंथी विचारधारा एक महान नेता थे। उन्होंने हमेशा मजदूर वर्ग हेतु के लिए कार्य किया है। उनके आकस्मिक निधन से सभी वामपंथी विचारधारा को मानने वाले को काफी क्षति पहुंची है। उनकी कमी हमे सदैव महसूस होगी। किरंदुल के श्रमिक संघ एटक के अध्यक्ष देवरायलु, सचिव राजेश संधू, रोशन मिश्रा, सुमित घर, नामदेव, नरसिम्हा रेड्डी, उपेंद्रनाथ त्रिपाठी के साथ एआईवाईएफ एवं महिला संगठन के सभी साथियों ने सीताराम येचुरी जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।