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कोरिया जिले के बैकुंठपुर मे मनाई गई मोहर्रम का त्यौहार हजरत इमाम हुसैन की शहादत दिवस

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कोरिया जिले के बैकुंठपुर मे मनाई गई मोहर्रम का त्यौहार हजरत इमाम हुसैन की शहादत दिवस

 

दैनिक प्राईम संदेश कोरिया छत्तीसगढ़ अजीमुदिन अंसारी

 

आज कोरिया जिले के बैकुंठपुर के अंतर्गत आने वाला चर्चा सोनहत बैकुंठपुर के अलावा पूरे सरगुजा संभाग में मोहर्रम का त्यौहार हजरत इमाम हुसैन रजी अल्लाह तला अन्हू की याद में मनाई जाती है मोहर्रम की 10 तारीख को ताजिए के रूप में उनकी याद मनाई जाती है

आपको बता दें कि यह त्यौहार हजरत इमाम हसन एवं इमाम हुसैन की याद में बनाई जाती है मोहर्रम माह में ही इराक के कर्बला के धरती पर 1442 हिजरी पूर्व हुसैन अली मकाम कि 72 जांनिशारों के साथ शहादत हुई थी तभी से उनकी याद में यह मोहर्रम के त्यौहार मनाई जाती है वैसे इस्लामी साल के मुताबिक मोहर्रम साल का पहला महीना माना जाता है आपको बता दे की याजीद नामक व्यक्ति ने उस जमाने में हुसैन अली मुकाम को धोखे से कुफा बुलाया था और हुसैन अली मकाम से यह चाहता था कि उसके गलत कृतियों को उनकी सहमति मिल जाए पर हुसैन अलीमकाम ने यजीद को समझने की कोशिश की और बताया कि तुम हमारी बात को मान लो अपनी मांगना चीजों को बीच में ना लो वरना तुम्हारा दोनों दुनिया खराब हो जाएगा पर या जीत के सर पर दौलत का नशा चढ़ा हुआ था और वह हमेशा शराब और जुआ और भी कई तरह के सामाजिक बुराइयों में हमेशा डूबा रहता था इस वजह से उसको हुसैन अली मकान की बात समझ में नहीं आई वरना हुसैन अली मकाम हर संभव उसे समझाने की कोशिश किया पर उसका कहना था की या तो मेरी बईयत ले लो या मुझसे जंग के लिए तैयार हो जाओ और यह दोनों शर्तें मुश्किल था इसलिए हुसैन अली मकाम ने अपना और अपने घर परिवार को लूटना ही दिन के हक में बेहतर समझा और अपना सर कटाना ही बेहतर समझा और उसकी गलत चीजों को हामी भरना अपने कुरान के वसूल के खिलाफ चीजों को कबूल नहीं किया हुसैन अली मकाम पर तरह-तरह के जुर्म ढाऐगए और उनके घर वालों पर भी जुर्म ढाया गया यहां तक की 6 महीने की बच्चा अली असगर को भी जालिमो ने बेरहमी के साथ शहीद कर दिया पर हुसैन अलैहिस्सलाम ने बाल बच्चों के माया मोह में नहीं आए और सही को सही और गलत को गलत ही मानते रहे उसी का नतीजा यह हुआ कि आज हुसैन हर एक के दिलों में छाए हुए हैं और यजीद दुनिया से ऐसे मरगया कि आज भी कोई यजीद नाम का व्यक्ति पूरे दुनिया में दिखाई नहीं देता और ना ही कोई अपने बाल बच्चों को यजीद नाम रखना चाहता है क्योंकि इंसानी नस्ल में यह सबसे गंदा नाम है। और लोगों में इतना गुस्सा है कि आज भी नाम का व्यक्ति पूरे दुनिया में अगर दिखाई दिया तो शायद वह ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाएगा आज भी लोग उसे मौत की घाट उतार देंगे

किसी शायर ने क्या खूब कहा है कि अभी कौम को बेदार तो हो जाने दो

हर कौम पुकारेगी हमारे हैं हुसैन

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