News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी
कौशाम्बी: अख़बार में प्रकाशित एक मार्मिक खबर को महज़ सूचना नहीं, बल्कि मानवीय जिम्मेदारी मानते हुए जिलाधिकारी डॉ. अमित पाल ने जो पहल की, उसने प्रशासनिक संवेदनशीलता की नई मिसाल कायम कर दी। बमरौली निवासी अनाथ बच्चे सूरज, शबनम और रिंकू आज सिस्टम की उपेक्षा नहीं, बल्कि शासन की प्राथमिकता बनते नजर आए। डीएम ने अपने कार्यालय कक्ष में बच्चों से आत्मीय मुलाकात कर उनकी समस्याओं को न सिर्फ गंभीरता से सुना, बल्कि उन्हें भरोसा दिलाया कि अब वे अकेले नहीं हैं। डीएम ने बच्चों से कहा कि प्रशासन हर कदम पर उनके साथ खड़ा है और किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर वे बिना झिझक सीधे अवगत कराएं,मदद में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
डीएम के निर्देश पर प्रशासनिक मशीनरी तत्काल हरकत में आई। बड़े बेटे सूरज का बैंक खाता खुलवाने और अन्त्योदय कार्ड बनवाने के निर्देश खण्ड विकास अधिकारी को दिए गए। पारिवारिक लाभ योजना, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना और कृषक दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत आवेदन कराकर शीघ्र लाभ दिलाने के लिए संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट और सख्त निर्देश दिए गए। जब अधिकारियों ने बताया कि बच्चों का पात्र गृहस्थी कार्ड और आवास का लाभ पहले से मिल चुका है, तो जिलाधिकारी ने दो टूक कहा कि सिर्फ औपचारिक सहायता नहीं, बच्चों को हर उस योजना से जोड़ा जाए जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो और जीवन-यापन में कोई कठिनाई न रहे। यह पहल बताती है कि जब जिले का मुखिया संवेदनशील हो, तो अख़बार की एक खबर भी प्रशासनिक संकल्प बन जाती है। डीएम डॉ. अमित पाल की यह कार्यवाही सिर्फ आदेश नहीं, बल्कि उस भरोसे की कहानी है, जिसमें शासन एक संरक्षक की भूमिका में नजर आता है।