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पराली प्रबंधन पर प्रशासन का सख्त रुख, हरी झंडी दिखाकर जागरूकता वैन हुई रवाना

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News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी

कौशाम्बी: पर्यावरण बचाओ—खेती बचाओ के संदेश को लेकर आज कलेक्ट्रेट परिसर से एक नई पहल की शुरुआत हुई। जिलाधिकारी डॉ. अमित पाल ने सोमवार को पराली प्रबंधन जन-जागरूकता वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह वैन पूरे जनपद में भ्रमण कर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करेगी और आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से होने वाले लाभ बताएगी।
पराली जलाना अब सिर्फ गलत नहीं, दण्डनीय अपराध — प्रशासन ने दिया स्पष्ट संदेश
उप कृषि निदेशक सतेन्द्र तिवारी ने चेतावनी भरे संदेश में बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों के अनुसार फसल अवशेष जलाना अब अपराध की श्रेणी में आता है, और इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली अनिवार्य रूप से की जाएगी।
पराली जलाने पर लगेगा इतना जुर्माना
2 एकड़ से कम खेत — ₹ 2500
2 से 5 एकड़ खेत — ₹ 5000
5 एकड़ से अधिक खेत — ₹ 15000
उन्होंने किसानों से अपील की कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति घटती है,वातावरण प्रदूषित होता है और स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ते हैं।
किसानों के हित में बड़ा सुझाव
फसल अवशेष प्रबंधन यंत्रों का उपयोग करें
पराली न जलाएं — गौशाला में दें और बदले में मुफ्त गोबर की खाद प्राप्त करें
अगली फसल के लिए खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी
पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा
जिले का संदेश साफ – पराली नहीं जलेगी, हवा नहीं बिगड़ेगी
जिलाधिकारी द्वारा रवाना की गई यह वैन गांव-गांव जाकर किसानों को न सिर्फ जागरूक करेगी बल्कि उन्हें बताएगी कि नई तकनीक अपनाकर कैसे बिना पराली जलाए भी खेत साफ किए जा सकते हैं। यह अभियान सिर्फ नियम लागू करने का नहीं, बल्कि किसानों की सोच बदलने का प्रयास है ताकि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।

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