News By- हिमांशु उपाध्याय / नितिन केसरवानी
कौशाम्बी: भरवारी नगर स्थित वार्ड एक आंबेडकर नगर के बिसारा में रविवार को 1857 के प्रथम आजादी आंदोलन की नायिका वीरांगना ऊदा देवी पासी का शहादत दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में वक्ताओं ने बताया कि वीरांगना ऊदा देवी पासी ने प्रथम 1857 की क्रांति के दौरान भारतीय सिपाहियों की ओर से युद्ध में भाग लिया था। यह अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सिपाही थीं। इस विद्रोह के समय लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग दो हजार भारतीय सिपाहियों के शरणस्थल सिकन्दर बाग़ पर ब्रिटिश फौजों द्वारा चढ़ाई की गयी थी और 16 नवंबर 1857 को बाग़ में शरण लिए सिपाहियों का ब्रिटिश फौजों द्वारा संहार कर दिया गया। इसमे वीरांगना ऊदा देवी पासी की वीरगति को प्राप्त हुई थी। वक्ताओं ने आगे बताया कि ऊदा देवी पासी के पति भी सैनिक थे। अंग्रेजों ने उन्हें भी मार डाला था। पति की मौत पर वह रोई नहीं, बल्कि 36 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा था। आजादी की लड़ाई के दौरान ऊदा देवी पासी ने पुरुषों के वस्त्र धारण कर स्वयं को एक पुरुष के रूप में तैयार किया था। लड़ाई के समय वो अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग़ में तब तक प्रवेश नहीं करने दिया था, जब तक उनका गोला बारूद खत्म नहीं हो गया था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रजनीश पासी,सिराथू विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी आनन्द मोहन पटेल, पूरब पश्चिम शरीरा चेयरमैन प्रतिनिधि संजय सरोज, सपा नेता अनिल यादव, सभासद विक्रम सिंह,घनश्याम पासी,शंकर लाल केसरवानी उर्फ बच्चा,एडवोकेट रविकांत प्रजापति, एडवोकेट मनका प्रसाद,नन्हे पासी, राकेश कुमार, रणविजय पटेल, सुनील यादव समेत समाज के लोग मौजूद रहे।