एंबुलेंस नहीं, बनी ‘परिवारिक टैक्सी’: अमरकंटक का विद्युत गृह में शासकीय वाहनों का खुला दुरुपयोग
अनूपपुर/चचाई।
ऊर्जा नगरी चचाई में शासकीय संसाधनों का जिस प्रकार से बेजा उपयोग किया जा रहा है, वह न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक गंभीर तस्वीर भी पेश करता है।
जिले के ताप विद्युत गृह में निविदा पर लगे एंबुलेंस वाहन आजकल मरीजों की सेवा छोड़, अधिकारियों और ठेकेदारों के ‘परिवारिक टैक्सी’ के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। रात के अंधेरे में मरीजों की बजाय उनके परिजनों को रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से लाने-ले जाने का काम किया जा रहा है, जबकि इन वाहनों का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराना है।
चचाई स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की चुप्पी या मिलीभगत?
यह मामला कोई नया नहीं है। वर्षों से इस तरह के कदाचार की आवाजें उठती रही हैं, लेकिन अब तक न तो किसी पर कार्रवाई हुई और न ही कोई ठोस जांच बैठाई गई। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की या तो चुप्पी सहमति में बदल गई है, या फिर वे स्वयं इस खेल के हिस्सेदार हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रात 12 बजे भी एंबुलेंस का उपयोग केवल परिजनों को घर छोड़ने के लिए किया जा रहा है, जिसे खुद अधिकारियों ने मौन स्वीकृति दे रखी है। इस तरह न केवल शासकीय राशि का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि सही समय पर जरूरतमंद मरीजों को एंबुलेंस सुविधा न मिलने से जान का खतरा भी बढ़ रहा है।
ठेकेदारों की चांदी, मरीजों की अनदेखी
वाहनों के टेंडर में भारी अनियमितता के आरोप भी सामने आ रहे हैं। ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने की मंशा से सरकारी संसाधनों का निजी हित में उपयोग किया जा रहा है। यह पूरी प्रक्रिया नियमों, नीति और नैतिकता — तीनों की धज्जियां उड़ाने का एक उदाहरण बन गई है।
क्या करेंगे जिम्मेदार?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग या ताप विद्युत गृह के उच्चाधिकारी इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेकर उचित जांच करेंगे या फिर यह मामला भी अन्य भ्रष्टाचार की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा?
जनता की माँग — हो निष्पक्ष जांच, दोषियों पर कार्रवाई
अब समय आ गया है कि जनता जागरूक होकर इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ आवाज़ उठाए। ज़रूरत इस बात की है कि जिले में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की जाए और एंबुलेंस के लॉग बुक, रूट रिकॉर्ड, और तैनात कर्मियों से पूछताछ कर दोषियों की पहचान की जाए।