- क्या घोटाला करने वाले अधिकारियों को बचाने में लगा है पशुपालन विभाग ?
- नीमच में वर्ष 2015 में किया घोटाला 2022 तक चली जांच में दोषमुक्त तब तक उप संचालक ने कर दिया धार में घोटाला
मनीष कुमार राठौर / 8109571743
भोपाल / धार । मध्य प्रदेश का पशुपालन विभाग ऐसा है जहां पर तीन प्रकार के अधिकारी बैठते हैं एक वह अधिकारी होता है जो भ्रष्टाचार करते हुए जिले में घोटाला करता है, वही दूसरा संभागीय स्तर का अधिकारी जो शिकायतों को ध्यान में रखकर प्रथम दृष्टि में जिला स्तरीय अधिकारी को दोषी पाते हुए जांच कर राज्य स्तरीय टीम को भेज देता है । इसके बाद राज्य स्तरीय टीम उप संचालक अधिकारी को बचाने में लग जाता है । अलग-अलग प्रकार के नियम कानून और धाराओं का हवाला देते हुए भ्रष्ट अधिकारी को बचा लिया जाता है आखिर क्या कारण है कि मध्य प्रदेश में इस प्रकार के घोटालेबाज अधिकारियों को या तो ट्रांसफर कर दिया जाता है या संरक्षण देकर अपनी गोद में बिठा लिया जाता है, वही जब तक भ्रष्टाचार की जांच चलती है तक वह अधिकारी दूसरे जिलें में एक और घोटाला कर लेता है ।
क्या है मामला नीमच का मामला ?
वर्ष 2015 में तत्कालीन उपसंचालक पशुपालन चिकित्सा सेवाएं जिला नीमच डॉक्टर जीडी वर्मा अधिकारी और अन्य कर्मचारियों के विरुद्ध सघन बकरी योजना के नाम पर भारी वित्तीय आर्थिक अनियमित तथा शासन की योजनाओं का लाभ वास्तविक हितग्राहियों को न पहुंचते हुए चहेते लोगों को लाभ प्रदान कर लाखों रुपए के गबन कर लिया जाता है । जिसमें कई बिंदुओं के तहत कारण बताओ पत्र जारी हुआ जिसकी जांच संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं उज्जैन से जांच की गई, जिसमें अधिकारी कर्मचारियों को दोषी सिद्ध हुए सहायक संचालक उज्जैन तत्कालीन अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर जीडी वर्मा के द्वारा योजनाओं का लाभ हितग्राही को प्राप्त नहीं पाया गया वहीं जिन हितग्राहियों के बकरियों का बीमा होना था वह भी नहीं पाया गया साथ ही विभाग द्वारा बकरियों को पशु आहार खाने हेतु आवश्यक सामग्री नियम अनुसार क्रय कर हितग्राहियों को देना था, परंतु तत्कालीन उप संचालक डॉक्टर जीडी वर्मा के द्वारा घोटाला करते हुए हितग्राहियों से ही पशु आहार क्रय करने के निर्देश दिए इसके बाद संयुक्त संचालक पशुपालन ने डॉक्टर जीडी वर्मा उपसंचालक जिला नीमच को दोषी पाया गया और जब इसकी जांच भोपाल स्तर से हुई तब विभाग ने 2022 में दोष मुक्त कर दिया धन्य है पशुपालन का डायरेक्टरेट विभाग जो इस प्रकार के भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण दे रहा है ।
क्या है वर्तमान का मामला ?
डॉ जी डी वर्मा उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं जिला धार पर फिर एक बार कई बिंदुओं में घोटाले और वित्तीय अनियमितता की शिकायत हुई जिसके बाद संभागीय स्तर संयुक्त संचालक इंदौर ने धार के उप संचालक को दोषी पाया गया और अपनी रिपोर्ट बना कर भोपाल पशुपालन विभाग को भेज दी गई जिसके बाद से दो महा बीतने को आ रहे परंतु पूर्व में भ्रष्टाचार कर दो मुक्त हुए उपसंचालक जीडी वर्मा के ऊपर आज तक कार्रवाई नहीं की गई नाही कार्रवाई के दौरान अधिकारी को उसे स्थान से हटाया गया ना ही किसी प्रकार की कार्यवाही की गई । जब इस मामले को लेकर प्राइम संदेश लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है और अधिकारियों से बार-बार पूछ रहा है तो अधिकारी एक दूसरे के ऊपर टाला मटोली करते हुए अपना पक्ष देने से बच रहे हैं जब इस प्रकार से विभागीय जांच में लीपा पोती होगी तो भ्रष्ट अधिकारियों पर कौन कार्रवाई करेगा ? वही लेखाशाखा में पदस्थ अमिता सोलंकी सहायक वर्ग तीन जिनकी शिकायत नीना विक्रम वर्मा विधायक मध्य प्रदेश विधानसभा धार और प्रांतीय राजपत्र पशु चिकित्सक संघ के द्वारा भी कई आरोप लगाए गए की लेखा अधिकारी मैडम नियमों को तक पर रखकर अपने अधीन अधीनस्थ कर्मचारी को प्रताड़ित करती है वही अमिता सोलंकी जो की एक लेखा अधिकारी होने के नाते जिन कार्यों का भुगतान नियम अनुसार नहीं किया जाना चाहिए उनका भुगतान मैडम के द्वारा तुरंत कर दिया जाता है और वहीं दूसरी ओर जिनका भुगतान नहीं रोकना चाहिए उनका भुगतान रोकते हुए मैडम के द्वारा कर्मचारियों को परेशान किया जाता है । वर्तमान में इस पूरे मामले को देखते हुए आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जिले के मुख्य अधिकारी और लेखा शाखा अधिकारी के ऊपर उनके ही कर्मचारी बड़े-बड़े आरोप लगा रहे हैं तो आप समझ सकते हैं की धार जिले के पशुपालन विभाग में किस तरीके से घोटाला किया जा रहा है ?