बैतूल /घोड़ाडोंगरी /यदि,यही आलम रहा तो इस
मशनरी युग में धीरे धीरे गौमाता के दर्शन होना भी
दुर्लभ हों जायेगा
( आशीष पेंढारकर की रिपोर्ट )
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घोड़ाडोंगरी / हिंदू धर्म में गाय को गौमाता का दर्जा
दिया जाता है जिसके गोबर से घर लिपकर गोमूत्र से
घर को परित्र एवं शुद्ध किया जाता है।आज वहीं
गौमाता कचरे में रखी पॉलिथीन खाने को मजबूर है
अधिकांश लोग रात का बचा हुआ भोजन पॉलिथीन
में भरकर कचरे में फेक देते है।
भूख से तड़पती बिलकती गौमाता मजबूर होकर
जहरीली पॉलिथिन सहित रात का बचा भोजन
खाना पड़ता है। आप देख सकते हैं जिस स्थान
पर गौमाता खड़ी है उसके पास ही लोगों द्वारा
पॉलिथीन कचरे में आग लगा दी गई है। यदि
गौमाता का पैर या गौमाता आग की लपटों में
आ जाती तो गौमाता को कितनी तकलीफ होती
इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता क्या
आज मां का दर्जा इतना सस्ता हों गया है। क्या
इस मां का ध्यान रखने वाला कोई मां का लाल
नही ?
आज इस कलयुग में मानव इतना स्वार्थी
हों गया है उसे गाय का घी, दही, मही, माखन, खाना याद है लेकिन मां की सेवा करना याद नही ऐसा ही एक दृश्य घोड़ाडोंगरी नगर के मुख्य चौराहे पर देखने को मिला है जहां गौमाता के समीप आग की लपटे जल रही है। वहीं गौमाता अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीली पॉलिथिन में रखा भोजन खाने पर मजबूर हैं। लेकिन इसऔर किसी अधिकारी, जनप्रतिनिधी, समाज सेवी, किसी का ध्यान नही दिया जा रहा है।