कूट रचित दस्तावेज़ों के सहारे ठेका हथियाने की साज़िश!
अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है फर्जीवाड़े का खेल डॉ. राज तिवारी जाएंगे हाईकोर्ट
कूट रचित दस्तावेज़ों के सहारे ठेका हथियाने की साज़िश!
अधिकारियों के संरक्षण में चल रहा है फर्जीवाड़े का खेल डॉ. राज तिवारी जाएंगे हाईकोर्ट
ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465
अनूपपुर।सोहागपुर एरिया अंतर्गत एसआईएसएफ जवानों के आवागमन एवं ड्यूटी प्वाइंट तक पहुंचाने हेतु तीन वाहनों के संचालन के लिए जारी हुई निविदा प्रक्रिया अब गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि इस निविदा में अधिकारियों की मिलीभगत से एक विशेष ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से कूट रचित (फर्जी) दस्तावेजों के आधार पर टेंडर पास किया गया है।
सूत्रों के अनुसार इस निविदा प्रक्रिया में क्षेत्र के कई अनुभवी ठेकेदारों ने भाग लिया था किंतु जांच पड़ताल की औपचारिकता निभाते हुए महाप्रबंधक कार्यालय के जिम्मेदार अधिकारियों ने एक ही ठेकेदार के अधूरे और संदिग्ध दस्तावेजों को मान्य कर दिया।
बताया जा रहा है कि निविदा शर्तों के अनुसार न्यूनतम 70 लाख रुपए का वार्षिक टर्नओवर आवश्यक था जबकि चयनित ठेकेदार के दस्तावेज़ मात्र 55 लाख के टर्नओवर को दर्शा रहे थे। इसके बावजूद अधिकारीगणों ने टेंडर को मंजूरी दे दी।
टर्नओवर का खेल और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल
जांच में यह भी सामने आया है कि उक्त ठेकेदार ने अपने दस्तावेजों में एसईसीएल नहीं बल्कि एनसीएल की जानकारियां प्रस्तुत की जिससे उसकी पात्रता ही संदिग्ध हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला उच्चस्तरीय जांच का विषय है क्योंकि बिना वैध प्रमाणपत्रों के ठेका प्रदान करना सीधे-सीधे सरकारी धन और प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ है।
लंबे समय से चल रहा है यह खेल डॉ. राज तिवारी
नगर परिषद बरगवां अमलाई के उपाध्यक्ष डॉ. राज तिवारी ने इस पूरे मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि यह कोई नया खेल नहीं है। वर्षों से कुछ अधिकारी और ठेकेदार मिलकर निविदाओं को अपनी मर्जी से तय करते आ रहे हैं लेकिन इस बार मैं इसे ऐसे ही नहीं जाने दूँगा क्षेत्र के लोगों के हितों के साथ खिलवाड़ हुआ है। अब यह मामला मैं सीधे हाईकोर्ट लेकर जाऊँगा
डॉ. तिवारी ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका की निष्पक्ष प्रक्रिया पर पूर्ण भरोसा है और वे यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ठेका प्राप्त करने वाले ठेकेदारों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
स्थानीय स्तर पर मचा हड़कंप
जैसे ही यह खबर सार्वजनिक हुई स्थानीय ठेकेदारों एवं आम लोगों में हड़कंप मच गया है। आखिर किस अधिकारी के संरक्षण में यह खेल चल रहा है अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसके संरक्षण में यह फर्जीवाड़ा चल रहा था और किन-किन अधिकारियों ने दस्तावेज़ों की जांच के नाम पर महज़ औपचारिकता निभाई?
स्थानीय नागरिकों और अन्य ठेकेदारों ने भी मांग की है कि इस निविदा प्रक्रिया की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए ताकि क्षेत्र में व्याप्त ठेका वितरण की अपारदर्शी प्रणाली पर रोक लगाई जा सके।
