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नगर परिषद मझौली (सीधी) के अध्यक्ष पद का निर्वाचन शून्य घोषित!

प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुनाया एतिहासिक फैसला?

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नगर परिषद मझौली (सीधी) के अध्यक्ष पद का निर्वाचन शून्य घोषित!

 

प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सुनाया एतिहासिक फैसला?

 

*अरविंद सिंह परिहार सीधी*

 

वर्ष 2022 अगस्त माह में संपन्न हुए नगर निकाय चुनाव में नगर परिषद मझौली के अध्यक्ष पद का निर्वाचन न्यायालय से शून्य घोषित किया गया है। याचिका कर्ता वार्ड पार्षद भाजपा पार्टी से अध्यक्ष पद के लिए घोषित प्रत्याशी लवकेश सिंह गहरवार द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया कि दो बिंदुओं पर याचिका दायर की गई थी दोनों गलत पाई गई है जिसके आधार पर न्यायालय द्वारा निर्वाचन शून्य घोषित करते हुए कलेक्टर को पुनः निर्वाचन करने आदेशित किया है।

 

बताते चलें कि चुनाव के समय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता

शंकर लाल गुप्ता कांग्रेस से नाखुश हो विधायक धौहनी के हाथों भाजपा पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते हुए भतीजे हितेश गुप्ता तथा स्वयं भाजपा के सिंबल पर वार्ड पार्षद का चुनाव लड़े तथा दोनों जीते भी वही पूर्व से अध्यक्ष पद के लिए तैयारी कर भाजपा के वरिष्ठ नेता लवकेश सिंह जिनके नेतृत्व में नगर परिषद का चुनाव लड़ा गया था तथा इन्हीं व मंडल अध्यक्ष एडवोकेट प्रवीण तिवारी के सहमत पर भाजपा प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे गए थे जहां 15 में से 11 पार्षद भाजपा के निर्वाचित हुए पूरी ताकत झोंक चुकी कांग्रेस पार्टी के दो तथा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में दो निर्वाचित हुए। जिस दिन परिणाम निकला उस दिन सभी एकजुट होकर भव्य रैली के साथ नगर भ्रमण किये लेकिन जैसे ही अध्यक्ष पद के निर्वाचन की तारिक का एलान हुआ विरोधी सक्रिय हुए एवं कांग्रेस तथा निर्दलीय प्रत्याशी फूट डालो और शासन करो कि नीत चले जो भाजपा के पार्षद को ही जो तत्काल भाजपा में शामिल होकर भाजपा के सिंबल से चुनाव जीते थे उकसा कर भाजपा की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए घोषित प्रत्याशी के सामने ला दिए। जैसे तैसे नींति चली और गहमा गहमी के बीच हुए निर्वाचन में शंकर प्रसाद गुप्ता एक मत से विजय घोषित किए गए इस दौरान खरीद फारोक्त तथा पीठासीन अधिकारी पर पक्षपात पूर्ण निर्वाचन संपन्न करने के आरोप का चर्चा पूरे क्षेत्र में व्याप्त थी। शायद इसी को लेकर लेकर भाजपा की तरफ से अध्यक्ष पद के लिए घोषित प्रत्याशी लवकेश सिंह न्यायालय पहुंचे जहां से ढाई वर्ष बाद न्याय मिल सकी। जहां प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश में अपना फैसला सुनाते हुए अध्यक्ष पद के निर्वाचन को शुन्य

घोषित करते हुए संबंधित जनों पर 30 हजार रुपए का जुर्माना भी ठोका है? याचिका करता के अनुसार कलेक्टर को पुनः निर्वाचन के लिए आदेशित किया गया है। अब देखना होगा कि निर्वाचित अध्यक्ष वरिष्ठ न्यायालय का दरवाजा हटाएंगे या अपने व्यापार- व्यवसाय में लग जाएंगे। वैसे भी ए अपने अधिकार एवं पद का उपयोग कर सकेने में सफल नहीं रहे।

भले ही चाहे प्रशासनिक अमला अपने नीति एवं प्रभाव से इन्हें साधे रहने में सफल रहा हो।अब इनके कार्य प्रणाली से जनता के साथ इनके कुछ समर्थक पार्षद भी नाखुश देखे जा रहे हैं ऐसे में क्या अध्यक्ष शंकर लाल प्रसाद गुप्ता अपनी अध्यक्षता को बचाए रखने के लिए क्या कुछ कवायत करते हैं यह देखने वाली बात होगी।

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