उप निरीक्षक के भरोसे थाने की कमान, उमरिया पुलिस में नियमों की अनदेखी!
ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465
उमरिया।क्या विभागीय नियम-कायदों से ऊपर हो चुके हैं “संबंध” और “संपर्क”? क्या पुलिस व्यवस्था में अब नियमों की जगह ‘सुविधाजनक नियुक्ति’ ने ले ली है? उमरिया जिले के हालात तो कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं, जहां सब-इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी थाना प्रभारी जैसे जिम्मेदार पदों पर वर्षों से जमे हुए हैं।
नियमों को दरकिनार कर थानों की कमान उप निरीक्षकों को
सूत्रों के अनुसार, जिले के मानपुर और नौरोजाबाद थानों में उप निरीक्षक रैंक के अधिकारी लंबे समय से प्रभारी के पद पर पदस्थ हैं। यह तब है जब पुलिस लाइन में निरीक्षक स्तर के अधिकारी उपलब्ध हैं। सवाल यह है कि नियमों के विरुद्ध जाकर उप निरीक्षकों को थाने का प्रभारी क्यों बनाया गया है? क्या यह किसी राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक संलिप्तता का नतीजा है?
स्थानीय जुड़ाव बना ‘सुविधा’, या बना अड़चन?
चर्चा है कि इन अधिकारियों की शिक्षा, सेवाकाल और पारिवारिक जड़ें इसी जिले से जुड़ी हैं। ऐसे में स्थानांतरण न होना क्या महज संयोग है या रणनीतिक सुविधा? जिला पुलिस व्यवस्था पर यह एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।
शराब और रेत माफिया पुलिस संरक्षण में फलता-फूलता अवैध कारोबार
जिले में अवैध शराब और रेत खनन का व्यापार खुलेआम चल रहा है, और आश्चर्यजनक रूप से पुलिस प्रशासन की चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
शराब माफिया में ‘जुन्नु’ की भूमिका किसकी छत्रछाया में?
सूत्रों के अनुसार, “जुन्नु” नामक व्यक्ति के माध्यम से जिले में अवैध शराब का पूरा नेटवर्क संचालित किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि उसकी कई अधिकारियों से नजदीकी संबंध हैं, जो उसे प्रशासनिक सुरक्षा प्रदान करते हैं। अवैध ठेके, अवैध निर्माण और वितरण सब कुछ पुलिस की संभावित सहमति के बिना चल पाना नामुमकिन लगता है।
रेत खनन का साम्राज्य टाइगर रिजर्व तक खतरे में
चंदिया, मानपुर, घुनघुटी और नौरोजाबाद क्षेत्रों में रेत का अवैध खनन चरम पर है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से लगे क्षेत्रों में नदियों और नालों से रेत की चोरी, पुलिस संरक्षण में हो रही है। यह न सिर्फ पर्यावरण के लिए खतरनाक है, बल्कि कानून व्यवस्था के लिए भी शर्मनाक।
अब उम्मीदें नवागत पुलिस कप्तान से
हाल ही में जिले में नवागत पुलिस अधीक्षक ने कार्यभार संभाला है। जनमानस में अब यह आशा बंधी है कि वे जिले में व्याप्त अवैध कारोबारों, राजनीतिक हस्तक्षेप, और प्रशासनिक लापरवाहियों पर सख्त अंकुश लगाएंगे। जब रक्षक ही भक्षक बनने लगे, तब जनता की सुरक्षा किसके भरोसे? उमरिया जिले में जो हालात बन चुके हैं, वह न केवल पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हैं, बल्कि शासन और प्रशासन की जवाबदेही पर भी। यदि अब भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो “कानून का राज” सिर्फ किताबों और नारों तक ही सीमित रह जाएगा।