स्कूल में ताले, मास्टर जी बेफिक्र, बच्चे खोज रहे हैं किताबों का ज़िक्र, भविष्य बिक रहा है बहानों की दुकान पर, शिक्षा रो रही है नेताओं की शान पर।
लोकेशन करेली
रिपोर्टर प्रियांशु कौरव
विनैकी स्कूल: शिक्षा का ढोंग या बहानों का महल?
स्कूल में ताले, मास्टर जी बेफिक्र, बच्चे खोज रहे हैं किताबों का ज़िक्र, भविष्य बिक रहा है बहानों की दुकान पर, शिक्षा रो रही है नेताओं की शान पर।
नरसिंहपुर जिले के विकासखंड करेली संकुल नयाखेड़ा के ग्राम विनैकी का प्राथमिक विद्यालय शिक्षा का मंदिर होने का दावा तो करता है, लेकिन हकीकत में यह बहानों का अड्डा बन चुका है। जिले में दो मंत्रियों के बीच कबड्डी की रेखा खींची जा रही है, जबकि मासूम बच्चों का भविष्य शिक्षा व्यवस्था की लापरवाही से चौपट होता जा रहा है।
कबड्डी का जश्न, शिक्षा का सन्नाटा
जिले के गाडरवारा में नवंबर 2024 में 68वीं राष्ट्रीय शालेय कबड्डी प्रतियोगिता का भव्य आयोजन हुआ, जहां स्कूल शिक्षा एवं परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग सहित अन्य नेता खिलाड़ियों को सम्मानित करने पहुंचे। लेकिन इसी जिले के विनेकी स्कूल में 15 अगस्त के झंडावंदन के बाद शिक्षक गायब हैं, जैसे चुनावी वादे वोट के बाद। कक्षाओं में सन्नाटा पसरा है—पहली कक्षा में महज पांच बच्चे, तीसरी में सिर्फ एक। किताबें? वे तो शायद कबड्डी मैदान की धूल में उड़ गई हैं।
आंगनबाड़ी सहायिका पर बोझ, मंत्रियों का मौन
शिक्षकों की अनुपस्थिति में आंगनबाड़ी सहायिकाएं बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हैं। मिड-डे मील की रसोइया ने व्यंग्य किया, “सर जी फोन पर ही दर्शन देते हैं, जैसे कबड्डी मैच में सिर्फ फोटो खिंचवाने आते हैं।” जिले में कबड्डी के नाम पर लाखों खर्च हो रहे हैं, लेकिन स्कूलों की बदहाली पर मंत्रीगण चुप्पी साधे हैं। शिक्षा मंत्री स्वयं 500 ऐसे शिक्षकों को जानते हैं जो स्कूल नहीं जाते और अपनी जगह दूसरों को किराए पर रखते हैं—विनेकी इसका जीता-जागता उदाहरण है।
शिक्षकों के बहाने, बच्चों का भविष्य दांव पर
शिक्षकों से पूछा तो बहाने मिले—एक ने कहा, “कारणवश नहीं आ पा रहा,” दूसरे ने ठहराया B.L.O. ड्यूटी पर। सवाल वही: बच्चों का भविष्य किसके जिम्मे—शिक्षा विभाग के या कबड्डी के खेलमैदान के? जिले में मंत्रीगण कबड्डी की रेखा खींचने में व्यस्त हैं, तो शिक्षा की लकीरें फीकी पड़ रही हैं।
शिकायतें दबीं, राजनीतिक संरक्षण बरकरार
संकुल प्राचार्य सतीश कौरव ने बताया कि पूर्व में भी ग्रामीणों ने लिखित शिकायत की थी, डी.आई.ओ. कार्यालय एवं कलेक्टर महोदय को अवगत कराया गया और मैं पूर्व विधायक ने भी समझाया था। लेकिन इसके बाद भी कोई अंतर नहीं आया। आज आपके द्वारा फिर मुझे जानकारी मिली है, इसे लेकर उचित जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
ग्रामीणों का तंज, मंत्रियों से गुहार
गांववाले तंज कसते हैं, “कबड्डी में तो मंत्री जी रेखा खींच रहे हैं, स्कूल में कब पढ़ाई की रेखा खींचेंगे?” शिक्षा मंत्री से अपील है कि विनेकी जैसे स्कूलों को बहानों का ठिकाना न बनने दें, बल्कि मासूमों का भविष्य संवारे।
शिक्षा व्यवस्था कब सुधरेगी?
नरसिंहपुर की यह तस्वीर मध्य प्रदेश ग्रामीण शिक्षा की बदहाली उजागर करती है। कबड्डी का जश्न तो खत्म हो गया, लेकिन विनेकी स्कूल का सन्नाटा कब टूटेगा? शिक्षा विभाग को अब जागना होगा, वरना बच्चों का भविष्य कबड्डी की तरह ही खेला