सोशल मीडिया की आवाज़ पर नगर परिषद उपाध्यक्ष ने दिखाई तत्परता, सड़क सुधार कार्य तुरंत हुआ शुरू
अनूपपुर, बरगवां-अमलाई नगर परिषद बरगवां-अमलाई एक बार फिर चर्चाओं में है, लेकिन इस बार कारण था जनता की आवाज़ और उस पर हुई त्वरित कार्यवाही। युवा मोर्चा के जिला महामंत्री मनीष तिवारी जब महाप्रबंधक कार्यालय से अपने घर लौट रहे थे, तो वार्ड क्रमांक 6 की नाला युक्त बदहाल सड़क पर गिर पड़े। यह वही सड़क है जिसकी हालत को लेकर पूर्व में कई बार शिकायतें की जा चुकी थीं, लेकिन नगर परिषद का ध्यान कभी नहीं गया।
गुस्से में आए महामंत्री मनीष तिवारी ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। उनका पोस्ट कुछ ही समय में वायरल हो गया और जनता के तीखे कमेंट्स व समर्थन ने यह स्पष्ट कर दिया कि क्षेत्र की जनता नगर परिषद की कार्यप्रणाली से कितनी असंतुष्ट है।
इस जनआक्रोश को गंभीरता से लेते हुए नगर परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. राज तिवारी ने तुरंत जेसीबी मंगवाकर सड़क सुधार कार्य शुरू करवाया। डॉ. तिवारी ने स्पष्ट कहा कि यदि नगर परिषद की कोई इकाई निष्क्रिय रहती है, तो जनता उन्हें सीधे अवगत कराए – वह स्वयं संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करेंगे।
महामंत्री मनीष तिवारी ने उपाध्यक्ष की इस त्वरित कार्यवाही की खुले दिल से सराहना की और कहा, “जनता को ऐसे ही जनप्रतिनिधियों की ज़रूरत है जो दफ्तरों की चहारदीवारी से निकलकर जमीनी समस्याएं समझें और समाधान करें।”
विकास के नाम पर भेदभाव?
महामंत्री तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि वार्ड क्रमांक 3 – जो परिषद अध्यक्ष का अपना वार्ड है – वहाँ तो विकास की ‘गंगा’ बह रही है, वहीं अन्य वार्ड जैसे वार्ड क्रमांक 9 अभी भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। स्ट्रीट लाइट्स का अभाव और सड़कों की दुर्दशा जनजीवन को प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि परिषद में विकास कार्यों के ठेके एक ही ठेकेदार को मिल रहे हैं, जिसकी कार्यशैली और गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। 72 लाख के शौचालय निर्माण में गड़बड़ी, रेत चोरी और वृद्धा पेंशन वितरण में अनियमितता जैसे मुद्दों पर भी उन्होंने तीखा हमला बोला।
बिना योग्यता के कराए जा रहे सरकारी काम?
महामंत्री ने एक और गंभीर मुद्दा उठाया – उन्होंने बताया कि लाखों की लागत से खरीदी गई जेसीबी मशीन बिना वैध हैवी लाइसेंस वाले चालक को सौंप दी गई है। यह चालक लर्निंग लाइसेंस के आधार पर मशीन चला रहा है। यदि कोई दुर्घटना होती है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?
इसी प्रकार नगर परिषद में नियमों को ताक पर रखकर साले की सिफारिश पर जीजा को नौकरी देना, पूर्व में दुकान चलाने वाले व्यक्ति को बिना प्रक्रिया के कर्मचारी बना देना – यह सब दर्शाता है कि नगर परिषद में मनमानी और भाई-भतीजावाद हावी हो चुका है।
मुख्यमंत्री के सपनों पर पानी फेर रही नगर परिषद?
महामंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जहां प्रदेश में पारदर्शी और जनोन्मुखी शासन व्यवस्था की बात कर रहे हैं, वहीं नगर परिषद बरगवां-अमलाई के भ्रष्टाचार और अव्यवस्था उनके सपनों पर पानी फेर रहे हैं। यदि समय रहते उच्च अधिकारी ध्यान नहीं देते, तो जनता का भरोसा पूरी व्यवस्था से उठ सकता है।