भाजपा नेता के ट्रेलरों से पकड़ा गया अवैध कोयला: पुलिस की चुप्पी पर उठे गंभीर सवाल
अनूपपुर/बिजुरी।मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में अवैध कोयले के कारोबार की सड़ांध अब सतह पर आ चुकी है और इस बार इसकी कालिख सीधे सत्तारूढ़ दल के दामन पर लगती दिख रही है। भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष आधाराम वैश्य के स्वामित्व वाले तीन ट्रेलरों को अवैध कोयला तस्करी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 15 घंटे बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज करने की हिम्मत नहीं जुटाई है।
राजनीति और माफिया गठजोड़ का खुला खेल
सूत्रों के मुताबिक, जिन ट्रेलरों को पकड़ा गया है उनके नंबर हैं:CG 10 BP 7639, CG 10 BP 7739, और CG 10 BP 7939।इन वाहनों से जब्त कोयला आमाडाड़ खदान से लोड किया गया था और इसे केजेएस सीमेंट फैक्ट्री, मैहर भेजा जा रहा था। कागजों की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि यह ट्रांसपोर्ट सीधे आधाराम वैश्य के नाम पर पंजीकृत है।
इस अवैध तस्करी में सिर्फ ट्रांसपोर्टर ही नहीं, बल्कि खुद कोयला निकालने का अधिकार रखने वाला डियो होल्डर, बुढ़ार का कारोबारी रिक्की सरदार भी शामिल है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि यह पूरी तस्करी वैश्य और सरदार की साँठगाँठ से संचालित हो रही थी।
उच्च गुणवत्ता का कोयला, लेकिन जांच नहीं!
जिन ट्रकों से कोयला बरामद हुआ है, उसमें G-6 ग्रेड का महंगा और उच्च गुणवत्ता वाला कोयला होने का संदेह है। यह वही कोयला है जिसकी कीमत बाजार में हजारों रुपये प्रति टन होती है।
चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस ने न तो कोयले की ग्रेडिंग जांच कराई, न ही कोई वैज्ञानिक सैंपलिंग की। इससे संदेह और भी गहराता है कि पुलिस इस अवैध कारोबार को संरक्षण दे रही है।
पुलिस की निष्क्रियता या मिलीभगत?
ट्रेलरों को पकड़े जाने के 15 घंटे बाद भी FIR दर्ज नहीं हुई है। दिनभर बिजुरी थाने में मामले को “मैनेज” करने की कोशिशें होती रहीं। इस दौरान न तो ट्रेलर चालकों से कड़ी पूछताछ हुई, न ही मालिक को थाने बुलाया गया।
इससे यह साफ संकेत मिलते हैं कि कोयला माफियाओं के आगे पुलिस पूरी तरह बेबस या फिर पूरी तरह बिक चुकी है।
पहले भी उजागर हुए हैं मामले, लेकिन…
यह कोई पहला मौका नहीं है जब अनूपपुर जिले में अवैध कोयले का मामला सामने आया है। लेकिन हर बार रसूखदारों के दबाव में फाइलें बंद कर दी जाती हैं और गुनहगार बेखौफ होकर कारोबार जारी रखते हैं।
अब क्या पुलिस करेगी कार्रवाई या फिर…
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार सत्ता के दबाव से ऊपर उठकर पुलिस निष्पक्ष जांच करेगी, या फिर हमेशा की तरह माफिया की ताकत के आगे झुक जाएगी?
जनता यह जानना चाहती है कि क्या कानून का राज बचेगा, या कोयला माफियाओं का जंगलराज ही कायम रहेगा
अवैध कोयले की इस काली कमाई ने न सिर्फ जिले की छवि को धूमिल किया है, बल्कि यह भी साबित किया है कि सत्ता, माफिया और पुलिस का गठजोड़ अब किसी से छिपा नहीं है। यदि इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था पर जनता के भरोसे की हत्या होगी।