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धुरवार टोल प्लाजा बना भ्रष्टाचार का अड्डा: ‘लाल पर्ची’ के नाम पर अवैध वसूली और कर चोरी का खुलासा

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धुरवार टोल प्लाजा बना भ्रष्टाचार का अड्डा: ‘लाल पर्ची’ के नाम पर अवैध वसूली और कर चोरी का खुलासा

ज्ञानेंद्र पांडेय 7974034465

शहडोल

जिले में स्थित धुरवार टोल प्लाजा भ्रष्टाचार और कर चोरी का नया केंद्र बनता जा रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार पारदर्शिता और डिजिटल इंडिया के तहत परिवहन व्यवस्था को आधुनिक और साफ-सुथरा बनाने के दावे कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।

 

टोल प्लाजा पर ‘लाल पर्ची’ के नाम पर एक ऐसा गोरखधंधा चल रहा है, जहां ओवरलोडेड ट्रकों और कमर्शियल वाहनों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए धड़ल्ले से निकाला जा रहा है — वो भी बिना किसी वैध परमिट या दस्तावेज़ के।

 

 

हर रात 8 बजे शुरू होता है ‘लाल पर्ची का काला खेल’

 

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, टोल पर हर रात करीब 8:00 बजे के बाद से लेकर देर रात तक अवैध गतिविधियों की बाढ़ सी आ जाती है। ट्रकों को नकली पर्चियों या फिर बिना टोल चुकाए सिर्फ ‘लाल पर्ची’ दिखाकर गुजारा जाता है। इससे प्रतिदिन हजारों से लाखों रुपये का सरकारी राजस्व चोरी हो रहा है।

 

 

टोल कर्मचारी बने गुंडा तत्व, अभद्रता और धमकी आम

 

सूत्रों का कहना है कि टोल प्लाजा में कार्यरत कुछ कर्मचारी खुद को “ठेकेदार का खास आदमी” बताकर न सिर्फ अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं, बल्कि विरोध करने वालों को धमकाते भी हैं। स्थानीय नागरिकों ने यह भी बताया कि छोटे वाहनों से मनमाने रेट वसूले जा रहे हैं — जैसे ₹400 एक तरफ और ₹200 दो तरफ।

 

नितिन गडकरी के विजन पर पड़ा सवालिया निशान

 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी देशभर में फास्टैग, टोल ऑटोमेशन और पारदर्शी व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था:

भारत की सड़कें सिर्फ आवागमन का माध्यम नहीं, बल्कि देश के विकास की रीढ़ हैं।”

“हम भ्रष्टाचार मुक्त, तकनीक आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम की ओर बढ़ रहे हैं।”

लेकिन धुरवार टोल प्लाजा की सच्चाई इन दावों को खुली चुनौती देती है।

 

प्रशासन की चुप्पी बनी रहस्य

 

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस सब के बावजूद प्रशासन ने अब तक कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है। क्या यह सब किसी उच्च राजनीतिक या विभागीय संरक्षण में हो रहा है? क्या जिला प्रशासन और परिवहन विभाग इस खेल से अनजान हैं या जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं?

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