मध्य प्रदेश में मूंग खरीदी: भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल, जांच भी घोटाले में तब्दील
बैतूल जिले में वेयर हाउस में रखी मूंग खरीदी घोटाला किसके संरक्षण में पनप रहा ??
स्पेशल स्टोरी –दैनिक प्राईम संदेश
मध्य प्रदेश में मूंग खरीदी: भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा खेल, जांच भी घोटाले में तब्दील
बैतूल जिले में वेयर हाउस में रखी मूंग खरीदी घोटाला किसके संरक्षण में पनप रहा ??
मनीष कुमार राठौर / 8109571743
भोपाल / बैतूल । मध्यप्रदेश में तरह-तरह के घोटारी और भ्रष्टाचार सामने आते हैं परंतु विभाग की उच्च अधिकारी इसको दबाने में कोई कोई कसर नहीं छोड़ते बल्कि जांच के नाम पर किस तरीके से कार्यवाही को अवसर में तब्दील कर लेते हैं यह तो जिले के उच्च अधिकारी से गुण समझने लायक है कि किसी मामले में शिकायत या समाचार मालूम लगने पर उस मामले को कार्रवाई करने के बजाय कमाई का जरिया बना लेना यह एक नया तरीका जिले के अधिकारियों ने बना लिया है । इस साल मूंग खरीदी का सीजन किसानों के लिए उम्मीद नहीं, बल्कि काला अध्याय बनकर सामने आया है। प्रदेश के बैतूल, नर्मदापुरम, सागर, रायसेन और जबलपुर जिलों में मूंग खरीदी में ऐसा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ कि जांच के नाम पर भी लीपा-पोती ही की जा रही है। बैतूल जिले के आठनेर ब्लॉक में अष्टविनायक वेयरहाउस का खेल साफ हो चुका है। यहाँ पर कम तुलाई कर बोरियां भर दी गईं, और अब जिले के 10 अधिकारी मिलकर जांच के नाम पर फर्जीवाड़े पर पर्दा डाल रहे हैं। साथ ही यह पर सड़ी-गली मूंग खरीदी कर गोदामों में भर दी गई। जांच एजेंसियां सच्चाई उजागर करने के बजाय भ्रष्टाचार की ढाल बन चुकी हैं। बैतूल जिले में भैरव संचालक को बचाने के लिए जिले के कई अधिकारी एक साथ मिलकर घोटाले को छुपाने में लगे हुए परंतु स्टेक नंबर 4 और स्टेक नंबर 8 में जो घोटाला हुआ है वह छुपाने वाला नहीं है क्योंकि यहां पर कम तुलाई और खराब मूंग को किस तरीके से व्यापारी से खरीद कर मिलाया गया है जिसकी जांच निष्पक्ष रूप से होगी तो पता चलेगा कि गरीब किसान नहीं से नहीं व्यापारी और वेयर हाउस संचालक भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं । खरीदी बंद हुए 22 दिन से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अब भी 33 हजार किसान 800 करोड़ रुपये के भुगतान से वंचित हैं। सरकार रोज़ाना 100 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का दावा कर रही है, लेकिन किसानों तक पैसा पहुँचने में और 7 से 10 दिन की देरी तय है। उधर नर्मदापुरम, सागर और रायसेन में गुणवत्ता जांच के बहाने हजारों किसानों का पैसा फंसने का खतरा है।
लक्ष्य से दोगुनी खरीदी का बोझ, गुणवत्ता जांच और किसानों की लूट
केंद्र सरकार ने प्रदेश को 3.51 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य दिया था। लेकिन प्रदेश सरकार ने 7.65 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीद ली।
इससे राज्य सरकार पर 3594 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ चढ़ गया। अब किसान भुगत रहे हैं और अफसर मलाई काट रहे हैं।
जिन जिलों में मूंग की जांच हुई, वहाँ 2-3 हजार क्विंटल के स्टेक में थोड़ी-सी अमानक मूंग मिलते ही पूरा स्टेक रिजेक्ट कर दिया गया। नतीजा यह है कि एक किसान की गलती की सजा दर्जनों किसानों को भुगतनी पड़ रही है। इससे 200 से 250 करोड़ का भुगतान अटकना तय है।
90 हजार किसान खरीदी से बाहर
3.62 लाख किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन खरीदी सिर्फ 2.72 लाख से हुई।
यानी 90 हजार किसान बिना मौका पाए ही बाहर कर दिए गए। बारिश के बीच खरीदी शुरू करने से मूंग भीगी, गुणवत्ता बिगड़ी और किसानों की उपज रिजेक्ट हो गई। किसान के नाम पर सिस्टम की लूट पर किसानों की मेहनत से उपजी मूंग अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। भुगतान लटकाकर सरकार ने किसानों को कर्ज और कंगाली की ओर धकेल दिया है।
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