लोकेसन-धामनोद
*धामनोद के कहार मोहल्ले में हुआ भीलट बाबा मंदिर का भूमि पूजन*
धामनोद – नगर का वातावरण आज धार्मिक आस्था, श्रद्धा और उल्लास से सराबोर रहा। कहार मोहल्ले में स्थित प्राचीन आस्था स्थल पर समाजसेवी परमानन्द घुइडिया के सान्निध्य में भीलट बाबा मंदिर के भूमि पूजन का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। यह क्षण नगरवासियों के लिए ऐतिहासिक बन गया, क्योंकि वर्षों से प्रतीक्षित मंदिर निर्माण की शुभ शुरुआत आज विधि-विधान से हुई।
सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। जगह-जगह स्वागत द्वार सजाए गए थे और पूरे मोहल्ले में उत्साह का माहौल था। भूमि पूजन के अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार से वातावरण गूंज उठा। कार्यक्रम का संचालन पंडित सतीश भट्ट ने किया, जिन्होंने विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना और हवन कराया। मंत्रों की ध्वनि और शंखनाद ने पूरे क्षेत्र को भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया
संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह वह धरोहर है जो आने वाली पीढ़ियों को हमारी धार्मिक जड़ों से जोड़कर रखेगी। मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि मैं इस पावन कार्य का हिस्सा बन रहा हूं। मैं इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा सम्मान मानता हूं। मंदिर निर्माण में मैं अपनी क्षमता से बढ़कर सहयोग करूंगा और सभी से भी अपील करता हूं कि इस पुण्य कार्य में योगदान अवश्य दें।”
उनके इन शब्दों से उपस्थित श्रद्धालुओं की आंखें श्रद्धा और प्रसन्नता से चमक उठीं।
✦ गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति
विधायक प्रतिनिधि ममता वर्मा ने कहा कि मंदिर संस्कृति की पहचान होते हैं और यह मंदिर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा
इस अवसर पर धामनोद नगर के अनेक प्रमुख नागरिक उपस्थित रहे। संतोष चौहान (मामा), राजेश नामदेव, महेश आर्य, राकेश साल्वे, मनोज वर्मा, पार्षद प्रतिनिधि कैलाश वर्मा, अजय वर्मा, धर्मेन्द्र वर्मा, दलू भाई (केले वाले) सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु कार्यक्रम का हिस्सा बने।
विशेष रूप से वार्ड क्रमांक 09 और 13 के सभी वार्डवासी एकजुट होकर भूमि पूजन में शामिल हुए। स्त्री, पुरुष, युवा और बुजुर्ग – सभी ने मिलकर इस आयोजन को यादगार बना दिया। मंदिर स्थल पर हर चेहरे पर उत्साह और भक्ति की झलक साफ देखी जा सकती थी।
वातावरण में भक्ति और उल्लास
लोगों ने भूमि पूजन के पश्चात प्रसादी ग्रहण की और एक-दूसरे को बधाई दी। हर किसी के चेहरे पर यह विश्वास झलक रहा था कि शीघ्र ही भव्य मंदिर का निर्माण होगा और यह स्थान पूरे नगर का आध्यात्मिक केन्द्र बनेगा।
मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं होता, बल्कि यह समाज को जोड़ने वाला केंद्र बिंदु होता है। यहां लोग सिर्फ आराधना ही नहीं करेंगे बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों में भी भागीदारी करेंगे। मंदिर का निर्माण समाज में भाईचारे, सद्भाव और एकजुटता का प्रतीक बनेगा।
धामनोद का यह दिन निश्चित रूप से यादगार रहेगा। भूमि पूजन के माध्यम से समाजसेवी परमानन्द घुइडिया ने जो पहल की है, वह आने वाले समय में धामनोद की पहचान को नई ऊंचाई देगी। मंदिर निर्माण पूरा होने पर यह स्थान न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी प्रेरणा का केन्द्र बनेगा।
पूरे नगर में आज का दिन भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का संगम बनकर दर्ज हुआ। श्रद्धालुओं की सामूहिक भागीदारी और समाजसेवी परमानन्द घुइडिया का योगदान आने वाली पीढ़ियों को भी इस बात का संदेश देगा कि “जब समाज एकजुट होकर किसी पुनीत कार्य के लिए आगे बढ़ता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है।”