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गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकश पर्व आज गुरुद्वारा साहिब भवानीमंडी में विशेष रूप से मनाया गया

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*गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकश पर्व आज गुरुद्वारा साहिब भवानीमंडी में विशेष रूप से मनाया गया**

*ब्लॉक रिपोर्टर ओम सोनी*

श्री गुरुद्वारा साहिब भवानी मंडी में श्रीग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। प्रकाश पर्व आयोजन की शुभारंभता निशान साहिब जी की विशेष सेवा से हुई उसके बाद कीर्तन दीवान सजाए गए जिसमें स्थानीय रागी जत्थे ने गुरु ग्रंथ साहिब जी की शबद का भावपूर्ण भावभीना गायन किया तथा कीर्तन के माध्यम से उपस्थित संगत को गुरु की शिक्षाओं का स्मरण कराया गया।

पांचवें सिख गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी द्वारा संकलित श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का पहला प्रकाश पर्व जो सिख इतिहास में एक मील का पत्थर है। इसमें ना केवल गुरुग्रंथ साहिब जी के आध्यात्मिक महत्व को ही बताया गया है बल्कि सिख समुदाय की एकता और देशभक्ति की भावना को भी मजबूत किया गया है!

आदि ग्रन्थ श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का अमृतसर में श्री गुरु अर्जन देव जी के द्वारा 16गस्त 1604 को संकलित किया गया था जिसमे श्री गुरु अर्जन देव जी ने सिख गुरुओं की बानी के साथ-साथ भक्ति काल के अन्य संतों जैसे कबीर जी, नामदेव जी, रविदास जी आदि महान संतों की रचनाओं को भी इस ग्रंथ में स्थान दिया था जिससे यह ग्रंथ एक सार्वभौमिक आध्यात्मिक मार्गदर्शक बन गया।

यह ग्रंथ 1430 अंगों (पृष्ठों) में विभाजित है और इसमें रागों के आधार पर रचनाएं व्यवस्थित हैं जो सिखों के लिए जीवंत गुरु का प्रतीक है। गुरु गोविंद सिंह जी ने 1708 में इसे सदा के लिए गुरु पदवी प्रदान की जिसके बाद सिख समुदाय के लिए यह शाश्वत मार्गदर्शक बन गया। गुरुग्रंथ साहिब जी न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि सामाजिक समरसता समानता, भाईचारा, सत्य और सेवा के सिद्धांतों का प्रतीक है जो पूरे विश्व में शांति और सद्भाव का संदेश देता है।

पहला प्रकाश पर्व गुरु अर्जन देव जी द्वारा ही आयोजित किया गया था जब उन्होंने अमृतसर के हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) में इस ग्रंथ का पहला प्रकाशन किया था यह आयोजन सिख धर्म के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम था क्योंकि इससे पहले सिख परंपरा मौखिक और व्यक्तिगत बानी पर आधारित थी। प्रकाश पर्व का उद्देश्य था कि सिख अनुयायी एकत्रित होकर गुरु की बानी का कीर्तन करें और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करें। इस पर्व के माध्यम से गुरु अर्जन देव जी ने सिख समुदाय को एक मजबूत आधार प्रदान किया जो बाद में गुरु गोविंद सिंह जी के खालसा पंथ के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह पर्व सिख कैलेंडर में एक प्रमुख त्योहार है।

इस अवसर पर श्री गुरुद्वारा साहिब पर अखंड पाठ, कीर्तन और लंगर का विशेष आयोजन हुआ जो समुदाय की सेवा भावना को दर्शाता है।

शाम को दीपमाला का भव्य आयोजन किया गया जिसमें गुरुद्वारा परिसर को दीयों से सजाया गया जो प्रकाश पर्व के महत्व को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाता है साथ ही इस अवसर पर विशेष लंगर का आयोजन भी हुआ जिसमें सैकड़ों की संख्या में संगत और श्रद्धालुओं ने लंगर ग्रहण किया। यह लंगर गुरु की दया और समानता के सिद्धांत का जीवंत उदाहरण था जहां सभी जाति-धर्म के लोग एक साथ बैठे। आयोजन में स्थानीय सिख संगत ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने सभी को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

श्री गुरुद्वारा साहिब भवानीमंडी के अध्यक्ष प्रितपाल सिंह ने सभी संगत से आह्वान किया कि वे गुरु की शिक्षाओं को जीवन में उतारें और सेवा, सिमरन तथा सत्य के मार्ग पर चलें।

*फोटो :~ श्री गुरुद्वारा साहिब पर श्री ग्रंथ साहिब का प्रकाश पर्व मनाते।*

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