बैतूल CMHO ऑफिस बना भ्रष्टाचार का अड्डा, भर्ती घोटाले का आरोपी फिर रंगे हाथों !
सेवानिवृत्त कर्मचारियों से 50 हज़ार की रिश्वत मांग, जेल जा चुका संजय दुबे फिर संवेदनशील पद पर – अधिकारी बने संरक्षणदाता
बैतूल CMHO ऑफिस बना भ्रष्टाचार का अड्डा, भर्ती घोटाले का आरोपी फिर रंगे हाथों !
सेवानिवृत्त कर्मचारियों से 50 हज़ार की रिश्वत मांग, जेल जा चुका संजय दुबे फिर संवेदनशील पद पर – अधिकारी बने संरक्षणदाता
मनीष कुमार राठौर / 8109571743
भोपाल/बैतूल । बैतूल का मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) कार्यालय अब भ्रष्टाचार के खुले बाज़ार में बदल चुका है। यहाँ नियम-कानून का कोई मतलब नहीं, कलेक्टर के आदेश महज़ कागज़ी औपचारिकता, और आरोपियों के लिए ‘सुरक्षा कवच’ का इंतज़ाम प्रशासन खुद कर रहा है। एक तरफ स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी की मांग हो रही है, वहीं दूसरी तरफ इसी कार्यालय में पदस्थ भ्रष्टाचार के पुराने खिलाड़ी खुलेआम रिश्वतखोरी के खेल में लगे हुए हैं।
ताज़ा मामला संजय दुबे का है – वही संजय दुबे, जो भर्ती घोटाले, रिश्वतखोरी और आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे संगीन मामलों में जेल की हवा खा चुका है।
आपको बता दे कि रिश्वत नहीं दी तो भुगतान अटका जानकार हैरानी होगी कि सेवानिवृत्त कर्मचारी लाहनू साहू ने बैतूल कलेक्टर को दी शिकायत में बताया कि पेंशन भुगतान क्लियर करने के एवज में संजय दुबे ने ₹50,000 की मांग की। रिश्वत देने से मना किया तो भुगतान प्रक्रिया को अटका दिया गया। यानी CMHO ऑफिस में बिना ‘माल’ चढ़ाए, काम करवाना नामुमकिन है।
भर्ती घोटाले से मौत तक का काला इतिहास
कोविड-19 के दौरान हुई भर्ती में भी संजय दुबे का काला चेहरा सामने आया था। आरोप है कि उसने बेरोजगार युवाओं से नौकरी देने के नाम पर लाखों रुपये वसूले। इसी भ्रष्टाचार से तंग आकर एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में दुबे का नाम दर्ज किया। इस मामले में उसे लगभग 6 महीने जेल में रहना पड़ा।
कलेक्टर के आदेशों की खुलेआम धज्जियां
जेल से निकलने के बाद कलेक्टर ने स्पष्ट आदेश दिया था कि दुबे को स्थापना शाखा से कोई काम न दिया जाए। लेकिन हुआ उल्टा – तत्कालीन CMHO रविकांत उइके ने नियम तोड़कर उसे वहीं बैठा दिया, और वर्तमान CMHO भी उसी राह पर चलते हुए आंखें मूंदे बैठे हैं। सवाल यह है कि आखिर इस आरोपी को बचाने में इतनी दिलचस्पी क्यों है?
CMHO ऑफिस – भ्रष्टाचार का सुरक्षित ठिकाना
यह पहला मामला नहीं है, बल्कि बैतूल CMHO ऑफिस में रिश्वत, घोटाला और नियम उल्लंघन रोज़ का खेल बन चुका है। कर्मचारियों का आरोप है कि यहाँ से लेकर ज़िले के बड़े अफसर तक, सब मिलकर भ्रष्टाचार का ‘सिस्टम’ चला रहे हैं, जिसमें रिश्वत न देने वालों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है ।
स्थानीय लोगों में गुस्सा है। सोशल मीडिया और जनचर्चाओं में यह मामला आग की तरह फैल चुका है। लोग पूछ रहे हैं ।
जब आरोपी जेल से बाहर आते ही फिर वही हरकत करने लगे, तो क्या यह प्रशासन की नाकामी नहीं ?
क्या कलेक्टर के आदेश महज़ दिखावा हैं ?
क्या CMHO ऑफिस में कानून से ऊपर ‘संजय दुबे’ नाम का कोई अलग संविधान चलता है ?
अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह साफ हो जाएगा कि बैतूल का CMHO ऑफिस सिर्फ स्वास्थ्य विभाग नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार विभाग के नाम से जाना जाना चाहिए ?