दम तोड़ती शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं।
रोजी-रोटी के लिए बाहर कमाने के युवक की घर पहुंची लाश।
बीवी बच्चे एवं परिवार जनों का रो-रो कर बुरा हाल।
*अरविंद सिंह परिहार सीधी*
भले ही केंद्र एवं राज्य सरकार लोगों के लिए कई जन कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रखी हो लेकिन यह योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रहे हैं। केंद्र सरकार की अति महात्वाकांक्षी योजना मनरेगा जिसमें क्षेत्र के लोगों को ज्यादा से ज्यादा उनके ग्राम पंचायत में काम मिल सके और वह अपने परिवार का भरण पोषण कर सके चालू की गई है लेकिन यह योजना भी गस खा रही है।जिस कारण रोजी-रोटी के तलाश में क्षेत्र के लोगों को बाहर जाना पड़ रहा है जहां से उनके घर लास पहुंच रही है अभी हाल ही में गुजरात में काम करने गए मझौली उपखंड के चार लोगों की लाश बदबू मारते उनके गृह ग्राम पहुंची थी।
अब आज 29 में को अभी हाल ही में रोजी-रोटी की तलाश मे मझौली जनपद पंचायत के करमाई ग्राम पंचायत के कोल परिवार के राजस्थान गए लोगों में से एक युवक सूरज पिता महाबीर कोल उम्र लगभग 40 की मृत्यु के तीसरे दिन लाश घर पहुंची जहां बीवी बच्चों के साथ परिवार जनों का रो -रो कर बुरा हाल है।
*रोड में पड़ी मिली थी यूवक की लाश*
मृतक सूरज पिता महाबीर कोल गांव के ही साथियों के साथ काम करने राजस्थान गया हुआ था। करमाई ग्राम पंचायत के ही साथियों द्वारा बताया गया कि 27 मई 2025 अमावस्या के दिन छुट्टी थी मृतक बाजार तरफ गया था। कुछ देर बाद सूचना मिली कि एक युवक की लाश रास्ते में पड़ी है हम लोगों ने जाकर देखा तो यही था। एंबुलेंस के स्टाफ द्वारा बताया गया कि अमावस्या के दिन कंपनी की छुट्टी थी यह बाजार तरफ जाकर दारू पिया था शायद इसी के कारण मृत्यु हुई है।
*कंपनी का सहयोग सराहनी*
मझौली जनपद के ग्राम पंचायत करमाई से अभी हाल ही में सात आठ आदिवासी समाज के मजदूर काम करने गए थे जो शायद ही एक-दो दिन राज्यस्थान के माइल्स कंपनी में काम किए होंगे जिसमें से एक मजदूर की मृत्यु हो जाने पर संवेदनशीलता दिखाते हुए उसे एक एसी एंबुलेंस से उसके ग्रह ग्राम छुड़वाया गया साथ ही पच्चीस हजार रुपए आर्थिक सहायता के रूप में भी उपलब्ध कराई गई है।
*कैसे होगी बच्चों की परिवरिष*
बताया जा रहा है कि मृतक सूरज परिवार में पत्नी, दो पुत्र चार पुत्रियां हैं जिनका भरण पोषण मेहनत मजदूरी करके मृतक ही कर रहा था। जिसकी आकस्मिक मृत्यु रोजी-रोटी के लिए प्रदेश से बाहर राजस्थान में हो गई। युवक के पिता भी वृद्ध हैं। शासन की योजनाएं बाटी नहीं बल्कि बेच रही हैं ? ऐसे में अब बच्चों को भरण पोषण पत्नी के लिए कड़ी चुनौती होगी।