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अब सिर्फ गेहूं नहीं, अब मल्टीग्रेन आटा बन रहा लोगो की पहली पसंद

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सेहत को लेकर लोगों मे रूझान

अब सिर्फ गेहूं नहीं, अब मल्टीग्रेन आटा बन रहा लोगो की पहली पसंद

 

*दैनिक प्राईम संदेश जिला ब्यूरो चीफ राजू बैरागी जिला *रायसेन*

 

रायसेन। मोटे अनाज के साथ मल्टीग्रेन आटा भी अब क्षेत्र के लोगों की जीवनचर्या का हिस्सा बनता जा रहा है। मिस्से आटे का हलवा वड़ा.पाव पकौड़े सहित कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाने के लिए इसका उपयोग हो रहा है। गेहूं के साथ ज्वार.चना बाजरे के आटे का उपयोग भी हो रहा है। आयुर्वेद प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ ओपी तिवारी के अनुसार मल्टीग्रेन आटा सेहत का खजाना है।

यह गेहूं के सामान्य आटे के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद होता है। मल्टीग्रेन आटे में ज्यादा फाइबर होता है। इससे बनी रोटी, ब्रेड,सामान्य आटे के मुकाबले ज्यादा पौष्टिक और गुणकारी होती हैं। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इससे हमारा शरीर मजबूत बना रहता है। डायबिटीज जैसी बीमारी को घटाने में मददगार होता है। फास्फोरस, आयरन, कॉपर विटामिंस और एंटीऑक्सिडेंट्स ब्लड प्रेशर को ठीक रखने में मददगार हैं। लोग बाजरा मक्का चना,ज्वार जई रागी का मिश्रित आटा इस्तेमाल कर रहे हैं।

बाजार में भी है उपलब्ध

बाजार में दुकानों पर पैक्ड मल्टीग्रेन आटा 62 से 70 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है। बड़ी कंपनियों का मल्टीग्रेन आटा 150 रुपए तक में भी मिल रहा है। मोटे अनाज की पिसाई 30 से 40 रुपए प्रति पांच किलोग्राम तक ली जा रही है।

अपना अनुभव बताया

90 वर्षीय महिला शान्ता देवी जोशी ,उर्मिला यादव वंदना श्रीवास्तव रेशमा बी वर्गीस मैडम ने बताया कि गेहूूं तो बहुत बाद में चलन में आया है। मोटा अनाज खाते थे। तब कोई बीमारी नही होती थी। शकुन्तला शर्मा गायत्री शर्मा रेखा पचौरी प्रियंका पचौरी ने बताया कि मोटा अनाज ही प्रचलन में था। गेहूं का आटा खाने के बाद से ही हम लोग बीमारियों से ग्रस्ति होने लगे हैं। संजीव, राजीव तिवारी ओमप्रकाश तिवारी ने बताया कि हमारे घरों पर पहले मक्का, बाजरा और सत्तू बनाने में गेंहू चना का भुना हुआ आटे से बनाया जाता था।

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